; मशरूम से कुपोषण भगा रही ये मशरूम गर्ल।
मशरूम से कुपोषण भगा रही ये मशरूम गर्ल।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में मशरूम साइंस से पीएचडी करने वाली निशा निरंजन ने मशरूम से न कि किसानों आत्म निर्भर बनाया बल्कि गाँव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के साथ – साथ कुपोषण भगाने का भी बीड़ा उठाया है।

निशा ने नमामि भारत से बात करते हुये बताया कि जब वो बी.एस.सी. कर रही थी तभी से उनकी रुचि फंगस में बहुत ज़्यादा थी।उनका मानना है कि फंगस से दुनिया की बहुत सी बीमारियों से लड़ा जा सकता है।इसके बाद निशा ने मशरूम पर रिसर्च किया और पहली बार एशिया का सबसे रेयर मशरूम उगाया जो कि भारत में होता ही नही है।इसके बाद उन्होंने परास्नातक न्यू प्रोडक्ट डेवलपमेंट से किया। आगे बताती है कि जब वो कॉलेज में शोध के दौरान फील्ड विजिट पर जाती तो प्रायः देखने को मिलता था कि लोगो मे प्रोटीन की बहुत कमी है जिसके चलते दुबले पतले , शरीर की हड्डियां पतली पतली एकदम बीमार जैसे दिखते थे।इन सब को देख कर निशा के मन मे ख़्याल आया कि इन लोगों में प्रोटीन की मात्रा को कैसे कम किया जाये, क्योंकि मांसाहारी भोजन सबके बस का नहीं है।जो लोग शाकाहारी हैं उनमें प्रोटीन की कमी को कैसे दूर किया जा सके इसके लिये उन्होंने मशरूम पर शोध करना शुरू किया और पता चला कि मशरूम में प्रोटीन 2.5 से 3.5 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है।इसके साथ ही मशरूम बहुत ही असरकारी हैं।मशरूम के पंद्रह प्रकार के उत्पाद बनाये हैं जैसे मशरूम पापड़, मशरूम आचार, मशरूम आटा, मशरूम खाखरा आदि जो सस्ते दामों पर बाज़ार में लोगो को उपलब्ध हैं।

गावों में दे रही स्वरोजगार

निशा ने ग्रामीण महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिये उनको मशरूम उत्पादन की निशुल्क ट्रेनिंग भी दे रही हैं। ताकि वो महिलाये अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। और अपनी जरूरत की चीज़ों को ख़ुद से खरीद सकें।इससे महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा में भी कमी आयेगी और उनको घरों में सम्मान भी मिलेगा।

वेस्ट को बेस्ट बनाकर शुरू किया मशरूम उगाना।

मशरूम का नाम सुनते ही लोगो के दिमांग में सबसे पहले गेंहू के महंगे भूसे की ही तस्वीर उभर कर आती है कि ये तो बहुत महंगा हैं।इससे लागत बहुत ज़्यादा आयेगी।लेकिन निशा ने बताया कि कई राज्य है जहाँ गेहूं होता ही नही हैं .इसके लिये उन्होंने चना ,धान,सोयाबीन इन सबके पुआल पर मशरूम उगाना शुरू किया हैं।ताकि हर राज्य में मशरूम आसानी से उगाया जा सके।

जर्मनी और कतर को भा रहे निशा के मशरूम से बने उत्पाद।

निशा ने अपनी वी.एन. ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड नाम से कम्पनी बनाई उसके बाद उन्होंने जर्मनी और कतर में मशरूम से बने उत्पादों को भेजना शुरू किया आज वहां से मशरुम की बहुत डिमांड आती हैं।

500किसानों को समूह बद्ध तरीके से मशरूम के व्यवसाय से जोड़ा।

मौजूदा समय में किसानों के आगे अन्ना जानवर बहुत बड़ी समस्या बने हुये हैं।ऐसे में किसानों को काफ़ी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।लेकिन मशरूम कि खेती में इन सब झंझटों को नही झेलना पड़ता है। वही किसान अन्य फ़सलो की तुलना में मशरुम की खेती को ज़्यादा महत्व दे रहे है।वही उनके उत्पाद को खरीदने के लिये उन किसानों के साथ में निशा MoU भी कर रहीं हैं।

News Reporter
मोहित शुक्ला, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में रहते हैं और नमामि भारत में जर्नलिस्ट हैं।और पिछले 5 सालों से कृषि क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे हैं. इससे पहले वो गाँव कनेक्शन में भी पत्रकारिता कर चुके हैं। कृषि और इनवायरमेंट उनका पसंदीदा क्षेत्र है।
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