![IPM टेक्नोलॉजी अपना कर खुशहाल हो रहे किसान।](https://www.namamibharat.com/wp-content/uploads/2023/09/IMG-20230922-WA0085-795x385.jpg)
सीतापुर।आईपीएम को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कहते हैं। आप इसको सरल शब्दों में समझिए अगर एक एकड़ खेत में लगी किसी फसल में किसान रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो महीने भर में लगभग 1500 से 2000 रुपए का खर्चा आता है।तो आईपीएम में वही खर्च आपका महज 25 रुपए से लेकर मुश्किल 250 रुपए का खर्चा आएगा। क्योंकि आईपीएम में प्राकृतिक विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस विधि में कोशिश रहती है रोग या कीट खेत में लगने न पाएं, और अगर लग जाएं तो उन्हें बढ़ने से रोक दिया जाए।
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खेत में रसायन का प्रयोग करने से वातावरण में रहने वाले हमारे मित्र कीट भी खत्म हो जाते हैं, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुये किसान इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट या एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन अपना सकते हैं।
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सीतापुर जिले के ओज़ोन किसान उत्पादक संगठन के निदेशक विकास कुमार तोमर बताते हैं कि किसानों की कृषि में कैसे लागत कम हो रसायन का प्रयोग न करके प्राकृतिक संसाधनों से कैसे पेस्ट मैनेजमेंट किया जाए।इसके लिए गाँव वो महोली ब्लाक का चयन किया।इन्होंने आगे बताया कि महोली ब्लाक में सब्जियों की खेती अधिक मात्रा में होती है।
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इस लिए उसमें कीड़े मकोड़े व फल मक्खी न लगे इसके लिए किसान बेरोक टोक रसायनों का प्रयोग करतें हैं।इस लिए मैंने इस ब्लाक को चुना और यहाँ अब किसान पहले की तुलना में अब महज न के बराबर रासायनों का प्रयोग करतें हैं।इससे न कि उनकी आय में वृद्धि हुई बल्कि उनके खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी हैं।