; एक सामान्य दारोगा की तरह पुलिसिया इतिहास में पहली बार हटे पुलिस महानिदेशक
एक सामान्य दारोगा की तरह पुलिसिया इतिहास में पहली बार हटे पुलिस महानिदेशक

लखनऊ। आखिरकार लम्बी अटकलों को विराम लग गया और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को बीट दारोगा, यूं कहें सिपाही की तरह हटा दिया गया। पुलिसिया इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी पुलिस महानिदेशक (DGP) को अकर्मण्य बताकर हटाया गया। सवाल उठता है आखिर किस कारण केंद्र में बतौर ADG तैनात मुकुल गोयल को नाकारा अफसर बता दिया गया? क्या उन्हें DGP बनाने के पहले उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े-बड़े सूरमा (IAS/IPS अफसर) उनके बारे में पता नहीं लगा पाए थे? आखिरकार किस मजबूरी में इतने कमजोर अफसर को उत्तर प्रदेश पुलिस का मुखिया बनाया गया? इन सारे सवालों का जवाब भले ही तुरंत न मिले लेकिन यह साफ कहा जा सकता है कि उन्हें कई माह पहले ही किनारे लगा दिया गया था, बस वह नाम के DGP रह गए थे। हालांकि अब DGP पद के लिए कई नाम सामने आने लगे हैं।
गौरतलब है कि शामली के रहने वाले मुकुल गोयल 1987 बैच के IPS अफसर हैं और एक जुलाई को UP पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी सरकार में गोयल ADG Law & Order रहे हैं। नए अफसर के चयन तक ADG कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार DGP का काम संभालेंगे। राज्य सरकार के सूचना विभाग की ओर से जारी संक्षिप्त जानकारी के अनुसार पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने एवं अकर्मण्यता के चलते डीजीपी पद से मुक्त करते हुए महानिदेशक (नागरिक सुरक्षा) के पद पर भेजा गया है। उनका कार्यकाल फरवरी 2024 तक था। इससे पहले वह सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) पद पर तैनात थे। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से स्थानांतरित कर UP का पुलिस प्रमुख बनाया गया था।
पुलिस विभाग के एक पूर्व अफसर कहते हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिग्नेचर बिल्डिंग के एक कार्यक्रम में शिरकत किए थे, तब वहां की पूरी व्यवस्था संभालने और अध्यक्षता की जिम्मेदारी भी DGP मुकुल गोयल की बजाय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था (ADG L/O) प्रशांत कुमार को दे दी गई थी, तभी से यह तय हो गया था कि सरकार ने मौजूदा DGP को किनारे लगाने का मन बना लिया है। इसके अलावा सरकार ने कई माह पहले से ही उनकी जुबान पर ताला जड़ दिया था। ACS गृह अवनीश अवस्थी भी गृह विभाग के मुद्दे पर मीडिया के सामने कम ही आते थे। सूत्रों का कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में शामिल रहने के आरोप भले ही कुछ लोग हटने के बाद मढ़ रहे हैं, लेकिन गोयल की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी नहीं चली थी।
बताते चलें कि प्रशांत कुमार पंचम तल समेत कई दिग्गज IAS अफसरों को प्रिय हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है मुख्यमंत्री की मीटिंग में भी प्रशांत कुमार को ही आने के लिए कहा गया था। वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों पर यकीन करें तो IPS अफसरों की एक लॉबी मुकुल गोयल के खिलाफ काफी दिनों से लगी हुई थी। उनके साथ कुछ IAS अफसरों की लॉबी भी लगी थी। खासकर वो जिन्हें अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। उन्हीं अफसरों के इशारे पर मुख्यमंत्री की हर बैठक में ADG L/O की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई थी। गौरतलब है कि सूबे की वरिष्ठता सूची में प्रशांत कुमार 27वें नम्बर पर हैं और 1990 बैच के अफसर हैं।
सरकार के नजदीकी सूत्रों का कहना है इसी माह अगस्त में रिटायर हो रहे अवनीश अवस्थी भी हटाए जा सकते हैं। उनके पीछे भी IAS/IPS अफसरों की एक लॉबी सक्रिय है। डीजीपी मुकुल गोयल के हटते ही ACS गृह के पीछे पड़ी लॉबी का भरोसा अब और बढ़ जाएगा। उन्हें अब लग रहा है कि मुख्यमंत्री को अवनीश अवस्थी के खिलाफ भी भड़का ले जाएंगे। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि IAS अफसर मनोज कुमार सिंह की तरह 1988 बैच के IPS अफसर डॉ. डीएस चौहान सूबे के नए पुलिस मुखिया बन सकते हैं। वहीं कुछ लोग मुख्य सचिव की तरह दिल्ली से एक अफसर के आने की चर्चा भी करने लगे हैं।
एक बार फिर जग गए सोए हुए अरमान
फरवरी 2024 तक सेवा में रहने वाले मुकुल गोयल के हटते ही कई अफसरों के अरमान एक बार जग गए। उनके हटने से किसी एक की किस्मत चमक सकती है। उन अफसरों में वरिष्ठता सूची के आधार पर सबसे आगे डॉ. आरपी सिंह हैं। सिंह फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त होंगे। उनके बाद 1987 बैच के ही अफसर गोपाल लाल मीणा इस रेस में सबसे आगे हैं। हालांकि वरिष्ठता सूची में वह तीसरे नम्बर की बजाय चौथे नम्बर पर हैं। तीसरे नम्बर पर तैनात विश्वजीत महापात्रा इसी साल जुलाई में रिटायर हो रहे हैं। हालांकि यूपी के मौजूदा मुख्य सचिव भी अपने सेवाकाल के आखिरी दिन एक साल के सेवा विस्तार के साथ चीफ सेक्रेटरी बनाए गए थे।
DG CBCID मीणा के अलावा इस रेस में पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के डॉ. राजकुमार विश्वकर्मा का नाम भी शामिल है। अगले साल मई में सेवानिवृत्त हो रहे विश्वकर्मा सरकार की गुडबुक में हैं और मीणा व सिंह से एक बैच जूनियर हैं। वह 1988 बैच के IPS हैं। उनके बाद वरिष्ठता सूची में छठे स्थान पर काबिज डीएस चौहान को लेकर सरकार का एक खेमा ज्यादा आश्वस्त लग रहा है। पहला कारण यह कि वह DG अभिसूचना जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं और दूसरा यह कि वह एक खास बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं।

क्यों हटाए गए मुकुल गोयल ?

एक जानकारी के मुताबिक़ मुकुल गोयल के काम से मुख्यमंत्री नाराज थे। चुनाव के पहले से लेकर अब तक काम में लापरवाही की बात कई बार उनके सामने आई। शासन के साथ DGP का तालमेल नहीं था। साथ ही वह सरकारी मीटिंगों में दिलचस्पी नहीं लेते थे। उन पर आरोप है कि वह कानून व्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे। इसके अलावा मातहतों पर उनका कोई कंट्रोल नहीं था। साथ ही सरकार और DGP के बीच संवाद की कमी थी। इसी कमी के चलते असहज और अनमने ढंग से वह काम कर रहे थे।

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