; भाजपा गठबंधन में वापसी की पटकथा लिखने में जुट गए हैं ओपी राजभर
भाजपा गठबंधन में वापसी की पटकथा लिखने में जुट गए हैं ओपी राजभर

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर बीता विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश (ओपी) राजभर ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की राजनीति से दूरी बना ली है. शुक्रवार को ओपी राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को वोट देने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और द्रौपदी मुर्मू ने सुभासपा का समर्थन मांगा था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी फोन आया था और मेरी उनसे मुलाकात भी हुई. उन्होंने ने भी द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन मांगा. जबकि अखिलेश यादव ने इस संबंध में उनसे बात तक नहीं की, तो ऐसे में हमने भी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करने का फैसला कर लिया. जिसके तहत अब सुभासपा के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को वोट करेंगे.  

ओपी राजभर का यह फैसला अखिलेश यादव की एक बड़ी सियासी हार है. अखिलेश यादव के अखंड पन की वजह से ही ओपी राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश यादव की राजनीति से दूरी बनाई है. यहीं नहीं यह फैसला लेने के पूर्व ओपी राजभर ने यह सार्वजनिक रूप से यह संकेत भी किया था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव गठबंधन के सहयोगी दलों से भेदभाव करना छोड़ दें और एसी कमरे के बाहर निकलकर जनता के बीच जाए. ओपी राजभर की यह सलाह अखिलेश यादव को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने कहा कि उन्हें किसी की सलाह की जरूरत नहीं हैं. आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में सपा प्रत्याशियों की हुई पराजय के बाद अखिलेश यादव का यह कथन ओपी राजभर को नागवार लगा और उन्होंने अपना नया ठिकाना खोजना शुरू कर दिया.

इसी क्रम में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में अखिलेश यादव ने ओपी राजभर को नहीं बुलाया और रालोद मुखिया जयंत चौधरी को बुलाकर मंच भी साझा किया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की इस सियासी चाल को शिवपाल यादव ने बचकानी राजनीति बताया जबकि ओपी राजभर ने इसे अपना अपमान माना. और ओपी राजभर ने अखिलेश यादव की राजनीति को लेकर उन पर खुलेआम हमला बोला. राजभर ने कहा बैठक में न बुलाए जाने की वजह जानने के लिए उन्होंने कई बार सपा अध्यक्ष से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश ने उनसे बात करना जरूरी नहीं समझा. अखिलेश को हमारी जरूरत नहीं है. इसलिए हमने भी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करने का फैसला कर लिया. जिसके तहत अब सुभासपा के छह विधायक द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करेंगे. ऐसे में सुभासपा के विधायकों में  मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी भी द्रौपदी मुर्मू को वोट करेंगे.

अब मुश्किल है राजभर का सपा के साथ चलना  
अब सवाल उठ रहा है कि क्या राजभर राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कर भाजपा के साथ एक बार फिर से ताल से ताल मिलाकर चलेंगे? इस सवाल को लेकर अब यह कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव के साथ ओम प्रकाश राजभर के रिश्ते इस कदर खराब हैं कि अब आगे दोनों का साथ चलना मुश्किल है. ऐसे में राजभर इस कवायद में हैं कि सपा से उनका नाता अखिलेश यादव की तरफ से टूटे ताकि उन पर गठबंधन तोड़ने के आरोप न लगें. ऐसे में राजभर राष्ट्रपति चुनाव के बहाने भाजपा गठबंधन में वापसी की पटकथा लिखी हैं. अब ओपी राजभर और सपा के बीच गठबंधन टूटता है और राजभर फिर से भाजपा के साथ आते हैं तो पूर्वांचल के इलाके में भाजपा को टक्कर देना अखिलेश यादव के लिए काफी मुश्किल होगा. 

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पंकज चतुर्वेदी 'नमामि भारत' वेब न्यूज़ सर्विस में समाचार संपादक हैं। मूल रूप से गोंडा जिले के निवासी पंकज ने अपना करियर अमर उजाला से शुरू किया। माखनलाल लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में परास्नातक पंकज ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारिता की और पंजाब केसरी के साथ काम करते हुए राष्ट्रीय राजनीति को कवर किया है। लेकिन मिट्टी की खुशबू लखनऊ खींच लाई और लोकमत अखबार से जुड़कर सूबे की सियासत कवर करने लगे। 2017 में पंकज ने प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ रुख किया। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित चैनल न्यूज वन इंडिया से जुड़कर पंकज ने प्रदेश की राजनीतिक हलचलों को करीब से देखा समझा। 2018 से मार्च 2021 तक जनतंत्र टीवी से जुड़े रहें। पंकज की राजनीतिक ख़बरों में विशेष रुचि है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही पॉलिटिकल रिपोर्टिंग की तरफ झुकाव रहा है। वह उत्तर प्रदेश की राजनीति की बारीक समझ रखते हैं।
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