; गन्ने के साथ सब्जी फसलों की सहफसली खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ संपन्न - Namami Bharat
गन्ने के साथ सब्जी फसलों की सहफसली खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ संपन्न

पवन पांडेय। दिनांक 28- 8- 2019 दिन बुधवार को महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा उद्यान विज्ञान के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम महाराजी ब्लॉक पिपराइच में गन्ने के साथ सब्जी फसलों की सहफसली खेती पर संपन्न हुआ जिसमें सर्वप्रथम केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ विवेक प्रताप सिंह द्वारा आए हुए कृषकों का स्वागत करते हुए महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र का विस्तृत परिचय कराया गया कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव उद्यान विशेषज्ञ ने गन्ने के साथ सब्जी फसलों की सहफसली खेती विषय पर किसानों को नवीनतम जानकारी देते हुए बताया कि गन्ने की बुवाई दूर-दूर पंक्तियों में की जाती है जिसकी आपस में दूरी बुवाई के समय अ90 सेंटीमीटर अक्टूबर-नवंबर में एवं 75 सेंटीमीटर फरवरी-मार्च पर रखी जाती है।

ऐसी दशा में गन्ने की दो पंक्तियों के बीच की जगह को कम अवधि वाली सब्जी फसलों की से फसली खेती के लिए अतिरिक्त आय अर्जित करने के उद्देश्य से उपयोग किया जा सकता है ऐसा करने से समय एवं फसल उत्पादन कारकों जैसे जमीन सूर्य का प्रकाश पोषक तत्व एवं मानव श्रम का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है सब्जियों की सहफसली खेती सर्वाधिक लाभकारी पाई गई है क्योंकि सब्जी वाली फसलें अपेक्षाकृत कम अवधि में ही बाजार में बेचने योग्य उपज देती हैं तथा गन्ने की फसल पर भी किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है गन्ने की गन्ने के साथ सहफसली खेती के लिए सब्जी फसलों के चयन में प्रमुख सावधानियां रखनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं सब्जी फसलों का चयन स्थानीय बाजार की मांग को ध्यान में रखकर करना चाहिए सब्जियों की दलहनी फसलें गन्ने की फसल को लाभ पहुंचाती हैं ऐसी फसलें जिनकी जड़ें अधिक गहराई तक जाती हैं गन्ने की फसल को लाभ पहुंचाती हैं सब्जी फसलों के रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए जैविक रसायनों का प्रयोग सावधानीपूर्वक कर सकते हैं गन्ना बुवाई के बाद फसल बोने के लिए मिट्टी की ऊपरी सतह में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है गन्ने के साथ हम आलू रामदाना लोबिया लहसुन प्याज मेथी आदि से फसली खेती के रूप में ले सकते हैं गन्ने के साथ लहसुन की खेती से गन्ने की फसल पर कीटों का प्रकोप कम होता है।

यह पद्धति किसानों के लिए लाभकारी पाई गई है इसके लिए खेत की अच्छी तैयारी आवश्यक है जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए प्रजातियों का चयन स्थानीय आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए फसलों की बुवाई अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह तक कर देनी चाहिए गन्ने की बुवाई 90 सेंटीमीटर पर करने के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 55 से 60 कुंतल बीच की आवश्यकता होती है गन्ने की 2 पंक्तियों के लहसुन की 3 पंक्तियां आपस में 15 से 20 मीटर की दूरी पर लगाते हैं लहसुन की पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखने से प्रति हेक्टेयर 3 कुंतल बीज का प्रयोग होता है प्राप्त होने वाले उपज की बात करते हैं तो गन्ने की अस्सी से नब्बे टन तथा लहसुन की 60 से 70 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है इसके पश्चात कृषकों को केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ विवेक प्रताप सिंह ने किसानों को पशुओं में होने वाली सम समायिक बीमारियां जैसे गला घोटू खुर पका मुंह पका के बारे में किसानों को विस्तार पूर्वक जानकारी दिया किसानों द्वारा पूछे गए या उनकी समस्याओं के बारे में उनको विस्तार से बताया कार्यक्रम में मुख्य रूप से रघुपति यादव रामायण गुप्ता रघुनाथ भगवानदास कौशल्या श्रीमती रमा रामावती देवी विद्यावती देवी सहित लगभग दो दर्जन कृषक महिला एवं पुरुषों ने प्रतिभाग किया।

News Reporter
Vikas is an avid reader who has chosen writing as a passion back then in 2015. His mastery is supplemented with the knowledge of the entire SEO strategy and community management. Skilled with Writing, Marketing, PR, management, he has played a pivotal in brand upliftment. Being a content strategist cum specialist, he devotes his maximum time to research & development. He precisely understands current content demand and delivers awe-inspiring content with the intent to bring favorable results. In his free time, he loves to watch web series and travel to hill stations.
error: Content is protected !!