; जब साल 2007 में सौरव गांगुली के बिना ही बस लेकर निकल गए रवि शास्त्री, फिर बदल गए दादा
जब साल 2007 में सौरव गांगुली के बिना ही बस लेकर निकल गए रवि शास्त्री, फिर बदल गए दादा

नितिन उपाध्याय/रवि..पूर्व भारतीय टीम के कप्तान और हेड़ कोच रवि शास्त्री अपने नियमों और अनुशासन के लिए क्रिकेट के मैदान के अंदर और बाहर जाने जाते है।रवि शास्त्री का कहना है कि वह ऐसा करके काफी गर्व महसूस करते है।शास्त्री का कहना है कि उनके के लिए समय की पाबंदी ही सर्वोपरि है।

हाल ही में टीम के कोच हेड रवि शास्त्री ने ब्रेकफास्ट विद चैंपियस में एक साल 2007 की पुरानी याद को ताजा करते हुए एक घटना का जिक्र किया और कहा कि वह सौरव गांगुली के बिना ही बस लेकर निकल गए थे क्योंकि दादा काफी लेट हो चुके थे।उस वक्त रवि शास्त्री टीम के नए नए पहली बार मैंनेजर बने थे।

हुआ था यूं कि उस समय टीम को चटगांव मे प्रैक्टिस सैंशन के लिए रवाना होना था और टीम बस 9 बजे की थी तभी टीम के सपोर्टिंग स्टाफ ने बताया कि कुछ वक्त इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि दादा नहीं आए है।इस बात को टीम मैनेजर रवि शास्त्री मानने को तैयार नहीं थे।उन्होंने बस को चलने का आदेश दिया और कहा कि दादा कार से आ जाएंगे।

लेकिन इस घटना के बाद दादा में काफी सुधार देखने को मिला और दादा 5 मिनट पहले समय से पहुँचने लगा।रवि शास्त्री कहते है कि समय, अनुशासन इन सब चीजों को एक खिलाड़ी ने आदत बना लेना चाहिए।अगर बस 9 बजे निकलती है तो 9 बजे ही निकलती है।उन्होंने कहा कि समय पर पाबंद रहके एक खिलाड़ी बहुत कुछ हासिल कर सकता है।

News Reporter
error: Content is protected !!