; प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है केरल का जलप्रलय
प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है केरल का जलप्रलय

सुप्रिया शर्मा। केरल,ईश्वर का अपना देश (God’s own Country) कहा जाने वाला राज्य आज बेबस और लाचार है। प्राकृति रूप से धनी केरल में जहां जाइये खूबसूरत वादियां बांहे फैलाये आपका स्वागत करती थी। लेकिन आज मंजर ही कुछ और है। प्राकृति आपदा ने केरल को ऐसे अपने गिरफ्त में लिया है जैसे हर तरफ चीत्कार है।

आज केरल में प्रकृति ने बता दिया है कि उससे छेडछाड़ कितना महँगा पड़ सकता है ये आपदा नेचुरल डिसास्टर से ज्यादा मैन मेड है केरल में लगभग 41 डैम हैं जो नदियों को रोककर बनाये गए हैं नदियों के रास्तों को मोडा गया वहाँ कालोनियाँ बनाई गईं। पश्चिमी घाट पर जाकर सागर में समाने वाली नदियों के साथ खिलवाड़ किया गया। जंगलों को अंधाधुंध काटा गया पैडी क्रॅाप्स जो ज्यादा पानी सोखने वाली फसल थी उसका एरिया आधे से ज्यादा कम हो गया जिसका नतीजा आज सबके सामने है। बारिश के बाद 2 डैम के पानी को छोडना पड़ा जिससे बाढ़ और भयानक हो गई।

केरल में प्राकृति आपदा ने अबतक 373 लोगों की जान ले ली है । 40 लोग लापता बतायें जा रहे हैं। 90 ऐसे लोग हैं जो घायल हैं और जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। 1398 घर इस प्राकृति आपदा में पूरी तरह से बर्बाद हो गये है। वहीं आंशिक रूप से 20148 घरों को क्षति पंहुची है । 46016 जानवरों की मौत हुई है। 10 लाख से ज्यादा लोग राहत शिविर का सहारा लिये हुए हैं। सड़कों की भी कमोवेश यही हालत है। लंबी-लंबी सड़कें पानी के तेज़ बहाव में बह गयी हैं। केरल को प्राकृति आपादा में 90,000 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है। बारिश ने ऐसी तबाही मचाई है कि हर तरफ हाहाकार है।

इन सबके बीच राहत की बात ये है कि एनडीआरएफ, सरकारी संगठन और गैर सरकारी संगठन दिन रात मेहनत करके लोगों को राहत शिविर तक पहुंचा रही है। लोग अपने जान की परवाह न करते हुए भी एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं। ताकि कम से कम जान माल की क्षति हो।

लेकिन इन सबके बीच परेशानी इस बात की है कि केरल में दो बार मॉनसून आता है। पहली बार साउथ-वेस्ट मॉनसून आता है जिसका समय जून से सितंबर तक का होता है। वहीं दूसरी बार नार्थ-ईस्ट मॉनसून आता है जिसका वक्त आक्टूबर से दिसंबर का होता है । मसलन केरल को 7 महीनें तक लगातार बारिश होती है। वैसे तो हर बरस ये बारिश कुछ खास होती है क्योंकि बारिश ही केरल को ओर ज्यादा खूबसूरत बनाती है। लेकिन इस बार ये अपने साथ तबाही लायी है।

केरल में सबसे ज्यादा तबाही पश्चिमी घाट से लगे जिले में आयी है। इदुक्की, कोहीकोड, मलप्पुरम, कन्नूर, वायनाड की हालत ज्यादा खराब है। भारी तबाही को देखते हुए केरल में सरकार ने गंभीर प्रकृति आपदा घोषित किया है । जाहिर है जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई में बहुत वक्त लगेगा। लेकिन बाढ़ के बाद फैलने वाली महामारी से निपटने के लिए वक्त रहते तैयारी करने की जरूरत है।

 

News Reporter
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