*दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के मौके पर को लेकर हम आपको कुछ ऐसे मिथक बता रहे है, जिसे आज भी ज्यादातर लोग सच मानते हैं
*एचआईवी को लेकर लोगों के मन में सबसे बड़ी मिथक है कि समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो इसका वायरस तेजी से फैलता है और संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है. हालांकि इसकी सच्चाई है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति भी नॉर्मल लाइफ जी सकता है और दवाइयों से उसके जीवन को बढ़ाया जा सकता है.
*लोगों को लगता है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की पहचान आसानी से की जा सकती है, लेकिन लोगों का यह मानना गलत है. एड्स के लक्षण लंबे समय तक नजर नहीं आते हैं, क्योंकि इसका वायरस काफी समय तक सुप्त अवस्था में रहता है.
*ज्यादातर लोगों की यह धारणा होती है कि एचआईवी का संक्रमण सिर्फ असुरक्षित यौन संबंध से फैलता है, लेकिन इसमें पूरी सच्चाई नहीं है. असुरक्षित यौन संबंध के अलावा एचआईवी संक्रमित सुई या टैटू मशीन से भी फैल सकता है. इसके अलावा एड्स ग्रस्त मां के कारण बच्चे में भी हो सकता है.
*लोगों का मानना है कि एचआईवी किस के दौरान भी फैलता है, हालांकि यह पूरी तरह सही नहीं है. कभी-कभी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को किस करने के दौरान मसुड़ों से खून निकलने पर एड्स होने का खतरा रहता है.
*लोग यह समझते हैं कि एचआईवी सिर्फ समलैंगिक लोगों और सेक्स वर्कर्स को होता है, यह मिथ है. इन लोगों में एड्स होने का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन यह सोचना गलत है कि बाकी लोगों को यह बीमारी नहीं हो सकती है.
*ओरल सेक्स से एड्स का संक्रमण नहीं होता है, इसको लेकर भी ज्यादातर लोगों में गलत जानकारी है. इसमें खतरा कम होता है, लेकिन इसे पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है. ओरल सेक्स के दौरान यदि गुप्तांग कटा हो या कोई घाव हो तो एचआईवी हो सकता है.
*यह धारणा बिल्कुल गलत है कि एड्स से ग्रस्त मां से उसके बच्चे में यह बीमारी जरूर होगी. हालांकि मां को अगर बीमारी की जानकारी पहले से चल जाए तो सुरक्षा नियमों का पालन कर बच्चे में इस बीमारी के होने का खतरा खत्म किया जा सकता है.
*अक्सर लोगों को इस बात का डर होता है कि एचआईवी व्यक्ति के आसपास होने से संक्रमण का खतरा होता है, लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है. एचआईवी कभी भी किसी के साथ रहने, टच करने या साथ खाना खाने से नहीं फैसला है. वायरस सिर्फ खून, मां के दूध और वीर्य के द्वारा ही फैल सकता है.