; किश्तों का भुगतान न होने पर प्रोमोटर को ब्याज प्राप्त करने तथा आवंटन निरस्त करने का अधिकार
किश्तों का भुगतान न होने पर प्रोमोटर को ब्याज प्राप्त करने तथा आवंटन निरस्त करने का अधिकार

उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण द्वारा रेरा अधिनियम 2016 की धारा-8 के अंतर्गत आवंटियों के समूह या प्रोमोटर तथा आवंटियों के संयुक्त प्रयास से ऐसी परियोजनाओं को पूरा कराने की कार्रवाई की जा रही है जिनका पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है या पंजीकरण समाप्त हो गया है और परियोजना में विकास कार्य पूरे नहीं हुए हैं। उ.प्र. रेरा के आदेशों में इन परियोजनाओं में आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा समयबद्ध विकास कार्य करने के लिए प्रोमोटर तथा आवंटियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण नियम तथा शर्तें रखी जाती हैं। यह देखने के लिए कि इन परियोजनाओं में विकास कार्य बिना किसी रूकावट के चलता रहे और यदि कोई रूकावट आ रही है, तो उसका समाधान किया जा सके, उ.प्र. रेरा के स्तर पर परियोजना परामर्शदात्री तथा अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है। इस समिति द्वारा प्रत्येक त्रैमास को सम्बन्धित प्रोमोटर तथा आवंटियों के समूह के साथ परियोजना के प्रगति की समीक्षा की जाती है और परियोजना के विकास में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है।


उ.प्र. रेरा के आदेश से ऐसी 12 परियोजनाओं का विकास रेरा अधिनियम की धारा-8 के प्राविधानों के अन्तर्गत सुगम बनाया जा रहा है। अधिकांश परियेाजनाओं में सामान्य रूप से प्रगति हो रही है। कतिपय ऐसी परियोजनाओं के प्रोमोटरों द्वारा समीक्षा बैठकों के दौरान प्राधकिरण के संज्ञान में यह बात लायी गयी कि परियोजना के कुछ आवंटियों द्वारा अवशेष किश्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप आर्थिक संसाधनों की कमी हो रही है और परियोजनाओं के समय से पूरा होने में बाधा आ रही है।
उ.प्र. रेरा द्वारा इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रोमोटरों/आवंटियों के समूह को यह सुझाव दिया गया कि ऐसी परिस्थितियों में अवशेष किश्तों का भुगतान समय से न करने पर भू-सम्पदा (विनिमय एवं विकास) (विकास/पट्टा के लिए करार) नियमावली 2018 के नियम 9.3 (प) के अनुसार आवंटियों पर ब्याज आरोपित करने या उनका आवंटन निरस्त करने का विकल्प उपलब्ध हैं जिसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्यवाही की जा सकती है-

  1. जिन परियोजनाओं में अवशेष किश्तों का भुगतान न होने से विकास कार्य रुके हुए हैं, उनमें सम्बंधित प्रोमोटर/आवंटियों के समूह द्वारा उन आंवटियों को नोटिस भेजी जाए जिन्होंने अभी तक अपनी अवशेष किश्तों का भुगतान नहीं किया है। निर्धारित समयावधि में इन किश्तों के भुगतान न होने की स्थिति में भू-सम्पदा (विनिमय एवं विकास) (विकास/पट्टा के लिए करार) नियमावली 2018 के नियम 9.3 (प) के अनुसार शेष किश्त की धनराशि पर एस.बी.आई. डब्स्त़़्1 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
  2. ऐसे आवंटियों को, जिन्होंने लगातार दो किश्तों का भुगतान नहीं किया है, उन्हें एस.बी.आई. डब्स्त़़्1 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित अवेशष किश्त का एक माह के अंदर भुगतान करने की नोटिस भेजी जाए। इस नोटिस में यह भी उल्लेख किया जाए कि यदि सम्बंधित आवंटी अवेशष दो किश्तों के साथ तीसरी किश्त का भुगतान भी समय से नहीं करता है तो उसका आवंटन निरस्त हो जाएगा।
  3. आवंटी को भेजे जाने वाले नोटिस में यह भी स्पष्ट किया जाए कि आवंटन निरस्त करने के बाद बुकिंग धनराशि व ब्याज सम्बंधी देनदारियों की कटौती करने के बाद, जमा की गई मूल धनराशि, इकाई के पुनः विक्रय होने या परियोजना के पूरा होने (जो भी पहले हो) के बाद आवंटी को वापस कर दी जाएगी।
    उ.प्र. रेरा सम्बन्धित परियोजनाओं के आवंटियों से परियोजना का समयबद्ध विकास सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से नियतिम रूप से अवशेष किश्तों के भुगतान की अपेक्षा करता है।
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