तृप्ति रावत/ लंबे समय से चल रही दिल्ली की आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल के बीच जंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नही है। एलजी को कैबिनेट के सलाह के अनुसार ही काम करना पड़ेगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नही है।
फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते खुशी जताई है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है। आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है।
A big victory for the people of Delhi…a big victory for democracy…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 4, 2018
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है कि, ‘हमने सभी पहलुओं – संविधान, 239एए की व्याख्या, मंत्रिपरिषद की शक्तियां आदि – पर गौर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि दिल्ली की असली बॉस चुनी हुई सरकार ही है यानी दिल्ली सरकार। बता दें कि दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 6 दिसंबर 2017 को मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता का एक ऐतिहासिक फैसला था। आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला दिया है। मैं दिल्ली की जनता की तरफ से इस फैसले के लिए धन्यवाद करता हूं, जिसमे माननीय न्यायालय ने जनता को ही सर्वोच्च बताया है। LG को मनमानी का अधिकार नहीं, दिल्ली सरकार के काम को रोका जा रहा था।
वहीं संविधान पीठ के अन्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्र तब फेल हो जाता है, जब देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं बंद हो जाती हैं। हमारे समाज में अलग विचारों के साथ चलना जरूरी है। मतभेदों के बीच भी राजनेताओं और अधिकारियों को मिलजुल कर काम करना चाहिए।
चंद्रचूड ने कहा कि असली शक्ति और जिम्मेदारी चुनी हुई सरकार की ही बनती है। उपराज्यपाल मंत्रिमंडल के फैसलों को लटका कर नहीं रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि एलजी का काम राष्ट्रहित का ध्यान रखना है, उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि चुनी हुई सरकार के पास लोगों की सहमति है।
पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।