राज कुमार शर्मा/ नवरात्री खत्म होने के ठीक अगले दिन यानि दशहरा सभी लोग आज हर्षोल्लास से रावण के पुतले का दहन करेंगे , और बुराई पर अचछाई की जीत का जश्न मनाएंगे। जिसमें अनेकों सीख देने वाले लोग ये भी जरूर कहेंगे की अपने अंदर के रावण को मारो यानि अपने अंदर की बुराईयों को खत्म करो। तो आइये जानते हैं दशहरा से जुड़ी कुछ कहानियाँ:
रावण का वध :
प्राचीन कथाओं के अनुसार रावण नाम के राक्षस ने पूरी दुनियाँ में अपना खौफ फैला रखा था, वह बहुत शक्तिशाली था और उसने अपनी शक्तियों से तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था। भगवान श्री राम के 14 वर्ष के बनवास के दौरान उसने भगवान राम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया जिसका बदला लेने के लिए भगवान श्री राम ने उसका वध आज ही के दिन किया और लोग इस दिन को दशहरा के रूप में मनाने लगे।
महिषासुर वध :
महिषासुर नाम के राक्षस ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर उनसे अपने अपराजय होने का वरदान ले लिया और पूरी दुनियाँ पर अत्याचार करने लगा। जिससे परेशान होकर सभी देवों ने अपनी शक्तियाँ एकत्रित करके माँ दुर्गा को बनाया और सभी ने उन्हें अपने अस्त्र प्रदान किए। माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच लगातार नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन महिषासुर का वध हुआ। नौ दिनों तक चले युद्ध के कारण माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होने लगी जिसमें लोग व्रत रखते हैं और दशवाँ दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
संघ की स्थापना :
दुनियाँ के सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भी आज ही के दिन सन् 1925 को हुई। इस संगठन की शुरूआत दो दर्जन से भी कम लोगों ने की लेकिन आज दावा किया जोता है की इससे 25 करोड़ से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और इसके अनेकों अंग हैं।
महाभारत और पांडव :
जुए के खेल में सब कुछ हार जाने के बाद पांडवों को 12 वर्ष का अज्ञातवास दे दिया गया। अंतिम वर्ष में उन्हें अज्ञातवास में रहना था, तब उन्होंने अपने हथियार एक वृक्ष के नीचे दबा दिए और वेश बदलकर राजा विराट के यहाँ चले गये। इसी बीच कौरवों ने राजा विराट पर हमला बोल दिया, जिसकी वजह से आज ही के दिन अपने हथियार बाहर निकाल लिए।