; प्लाज्माफेरेसिस चिकित्सा बनी वरदान मरीज़ की बची जान
प्लाज्माफेरेसिस चिकित्सा बनी वरदान मरीज़ की बची जान

ग्रेटर नोएडा, 13 नवंबर 2023,फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज विभाग के डॉक्टरों की टीम ने अपने चिकित्सा कौशल का प्रदर्शन करते हुए, हाइपरएक्यूट लिवर फेलियर से पीड़ित 29 वर्षीय एक मरीज का प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से इलाज करके लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता को खत्म कर दिया। आमतौर पर ऐसे मरीजों में लिवर ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प होता है, जिसके लिए मरीज को काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है, जो कई बार मरीज के जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है।

आमतौर पर ऐसे मरीजों में लिवर ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प होता है

ग्रेटर नोएडा का रहने वाला यह मरीज बुखार और पीलिया की शिकायत के साथ फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा पहुंचा था। मरीज की हालत इतनी खराब थी कि वह मस्तिष्क में सूजन (सेरेब्रल एडिमा) के कारण ठीक से बातचीत भी नहीं कर पा रहा था। 29 वर्षीय यह मरीज हेपेटाइटिस ए से पीड़ित था और उसे तत्काल आईसीयू में गहन देखभाल की आवश्यकता थी।

डॉ. अपूर्व पांडे, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसेज, फोर्टिस ग्रेटर नोएडा ने कहा, “यह एक गंभीर स्थिति है जो केवल 1% मामलों में पाई जाती है, जिसमें मरीज को पीलिया हो जाता हैं और मरीज के मस्तिष्क में सूजन जैसी अन्य जटिलताएं विकसित होने लगती हैं। ज्यादातर ऐसे मामलों में, समय पर सही चिकित्सा और देखभाल से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।”

प्लाज्माफेरेसिस चिकित्सा बनी वरदान सिर्फ 1 फीसदी मामले इस तरह के

डॉ. अपूर्वा पांडे, ने बताया, “मरीज की आयु कम होने के कारण ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त डोनर की व्यवस्था करने में समय लगता, इसलिए हमने सेरेब्रल एडिमा (मस्तिष्क की सूजन) और लीवर सपोर्ट के लिए आईसीयू में मरीज को प्लाज्माफेरेसिस देने का फैसला किया।”

उन्होंने बताया, “प्लाज्माफेरेसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के खून के तरल भाग या प्लाज्मा को उससे अलग कर दिया जाता है, जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं और फिर इसे डोनर से प्राप्त ताजा प्लाज्मा से बदल दिया जाता है और इसे मरीज के शरीर में वापस चढ़ा दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज को कुछ ही दिनों में छुट्टी दे दी गई और वह पूरी तरह से ठीक है।”

डॉ. पांडे ने बताया, “दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण पेट में इन्फेक्शन, फ्लू और हेपेटाइटिस के मामले बढ़ जाते हैं। लोगों को बासी खाना या स्ट्रीट फूड खाने से बचना चाहिए, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। भले ही पानी को जल शोधक के साथ संसाधित किया जा रहा हो, उपभोग से पहले इसे उबालने से ऐसे गंभीर संक्रमण से सुरक्षा की एक और परत जुड़ जाती है। डॉक्टरों ने लिवर फेल होने से रोकने के लिए हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। कुछ मामलों में, हेपेटाइटिस के कुछ शुरुआती लक्षणों में सुस्ती, मांसपेशियों में दर्द और बुखार शामिल हो सकते हैं, जबकि दूसरे चरण में रोगियों में पीलिया विकसित हो सकता है।

फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के फैसिलिटी डायरेक्टर श्री प्रमित मिश्रा ने कहा, “हाइपरएक्यूट लिवर फेल्योर के मामलों में, अगर सही इलाज न मिले तो मरीजों की जान जा सकती है। लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा, प्लाज्माफेरेसिस जीवन बचाने में सहायक साबित हुआ है। इस तरह के उपचार के लिए विशेष केंद्रों में मेडिकल फैसिलिटी की आवश्यकता होती है और फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में पर्याप्त जरूरी मेडिकल फैसिलिटी के साथ-साथ हाईली क्वालीफाइड डॉक्टरों की एक टीम है, जो जीवन बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।”

News Reporter
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