यूपी के सीएम योगी ने पतंजलि फूड पार्क शिफ्ट करने के मसले पर योगगुरु रामदेव को मना लिया है।कल ही ये ख़बर आई थी कि पतंजलि फूड पार्क को यूपी सरकार ने रद्द कर दिया है। लेकिन योगी ने आचार्य बालकृष्ण से बात कर के मामले को सुलझा लिया है। अब पतंजलि फ़ूड पार्क के यूपी से बाहर जाने की संभावना खत्म हो गई है। दरअसल 2016 में अखिलेश सरकार में इस फ़ूड पार्क को पतंजलि हर्बल के नाम से मंजूरी मिली थी लेकिन बाद में पतंजलि इसे पतंजलि फ़ूड पार्क कर दिया, जिससे कुछ टेक्निकल समस्या आ रही थी।
यूपी के उद्योग मंत्री सतीश महाना के अनुसार कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास करके इस समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा। इससे पहले पतंजलि के सहसंस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने उत्तर-प्रदेश सरकार पर लेटलतीफ़ी का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब पतंजलि ग्रेटर नोएडा में फूड पार्क नहीं बनाएंगे और उसकी ज़मीन यूपी सरकार को लौटा देंगे। आचार्य बालकृष्ण ने ये भी कहा कि पतंजलि के लोग मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों और अधिकारियों से भी मिले अपनी समस्या बताई लेकिन बात नहीं बनी।.
इससे पहले ख़बर थी कि ग्रेटर नोएडा में 2016 में अखिलेश यादव द्वारा स्वीकृत किया गया यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में पतंजलि फूड पार्क की जमीन का आवंटन योगी सरकार ने निरस्त कर दिया है। इस बात की जानकारी पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर के भी दी थी। बालकृष्ण ने लिखा था कि “आज ग्रेटर नोएडा में केन्द्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया”
शिलान्यास के वक्त दावा किया गया था कि यह फूड पार्क शुरू होने से लगभग 10,000 लोगों को नौकरी मिलेगी और किसान समृद्ध होंगे। इस प्रॉजेक्ट में पतंजलि ने 1600 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई थी लेकिन योगी सरकार ने इसे रद्द कर दिया है।
पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर व सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर कहा था कि , ‘प्रदेश सरकार के निराशाजनक रवैये को देखते हुए हम उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित फूड पार्क को शिफ्ट कर रहे हैं। इससे राज्य के किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला है।’