; सलेमपुर के महथापार में आयोजित संगीतमय पंच दिवसीय श्री राम कथा - Namami Bharat
सलेमपुर के महथापार में आयोजित संगीतमय पंच दिवसीय श्री राम कथा

सलेमपुर : अयोध्या से पधारे राष्ट्रीय सन्त मानस कथा वाचक श्री बाल तुलसीदास महाराज

रिपोर्ट- लालबाबू

स्व0 गनेशा देवी एवं स्व0 हरिकेवल प्रसाद की स्मृति में सलेमपुर के महथापार में आयोजित संगीतमय पंच दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे राष्ट्रीय सन्त मानस कथा वाचक श्री बाल तुलसीदास महाराज ने कहा कि सच्चे मन से कथा श्रवण करने से मनुष्य का उद्धार होता है। रामचरितमानस से मनुष्य को सच्ची शिक्षा मिलती है यदि उसको मनुष्य अपने जीवन मे उतार लें तो परिवार और समाज मे कभी विखंडन नही होगा।

सबको समान दृष्टि से देखने वाला परमात्मा है इसीलिए भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। श्री बाल तुलसीदास महाराज ने कहा कि राम नाम जपने वालो को अंतर्मन में ही प्रभु श्री राम के दर्शन हो जाते हैं। मन के किवाड़ खुल जाते हैं। राम नाम जपने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शोक-संताप सब नष्ट हो जाते है। सुख और दुःख दोनों में जो प्रफुल्लित हो वही सन्त है।अपने गुरु श्रेष्ठ याज्ञवल्क्य मुनि से भरद्वाज ने पूछा कि यह राम कौन हैं, जिनकी उपासना शिव जी भी करते है। भरद्वाज ने कहा कि जिसका कोई आकार नही वो राम है,भगवान आनन्द से रहित है।

भगवान को श्रद्धा से प्राप्त किया जा सकता है तर्क से नहीं। उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी श्रद्धा होती है उसको उतनी जल्दी कर्मफल की प्राप्ति होती है।
राम अवध के राजा है यह वह राम है जिन्हें भगवान शिव पूजते हैं और यहीं से राम कथा की शुरुआत होती है।

बाल तुलसीदास महाराज ने कहा कि गुरू के सानिध्य से सुख की प्राप्ति होती है जब अयोध्या नरेश राजा दशरथ अपने गुरू वशिष्ठ से कहा कि मेरा कोई पुत्र नही है तो गुरु वशिष्ठ की कृपा से उनको चार पुत्रो की प्राप्ति हुई। श्री राम के जन्म से महल में चारो ओर जयघोष की ध्वनि के साथ नगर में ढोल नगाड़े बजने लगे।कथा में अहिल्या का वर्णन बालक तुलसीदास महाराज द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी और ब्रह्माजी की मानसपुत्री थी। इंद्र के गलती की वजह ऋषि गौतम ने माता अहिल्या को शाप देकर पत्थर बना दिया। कालांतर में प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श द्वारा वे पुन: स्त्री बनी। कथा में सर्वेश राय के संगीतमय भजन ‘हमने आंगन नही बहारा कैसे आयेंगे भगवान’ पर श्रोता जमकर झूमे।

कथा में मुख्य यजमान जयनाथ कुशवाहा गुड्डन, ग्राम प्रधान ममता कुशवाहा,बिंदु देवी,रामनयन मणि त्रिपाठी, अजय दुबे वत्स,त्रिपुणायक विश्वकर्मा, अनिल ठाकुर,विनोद ठठेरा, रणधीर गुप्ता,राकेश दुबे,अशोक सिंह,रामविजय पांडेय एवम समस्त ग्रामीण उपस्थित रहे।

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