; मोदी फैक्टर हुआ बेहाल-भाजपा के लिए 2019 का रास्ता आसान नहीं
मोदी फैक्टर हुआ बेहाल-भाजपा के लिए 2019 का रास्ता आसान नहीं

सत्ता कभी किसी को संतुष्ट नहीं कर पाती. सरकार बनाना और सियासत करना दोनों अलग चीज है.2014 जीतने का यह बिल्कुल अर्थ नहीं है कि 2019 में बीजेपी की वापसी हो जाएगी. चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली का हिस्सा है. सरकार किसकी बनेगी यह जनता के मूड पर है. जनता सरकार को कई कसौटी पर मापती है. जनता का मूल्यांकन ही चुनाव में वोट के रूप में सामने आता है.

2014 का चुनाव एक इवेंट मैनेजमेंट जैसा था. जिसमे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बड़ी भूमिका थी. यूपीए 2 की नाकामी से अधिक मोदी लहर का असर था कि भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना पायी. मोदी को एक उम्मीद और सपने के रूप में प्रोजेक्ट किया गया जिसका असर विधानसभा के चुनावों में भी दिखा. कई राज्यों में भाजपा की सरकार बनी. इस धारणा के आधार परचुनावी विश्लेषकों का मानना है कि नरेंद्र मोदी की सरकार 2019 में आसानी से बन जाएगी. लेकिन ऐसा राजनीति में सोचना किसी भी दल के लिए घातक हो सकता है.

चुनाव आयोग के आंकड़ों की माने तो 2014 के आम चुनाव की एक बड़ी बात थी कि इस दौरान 2009 की तुलना में करीब 12 करोड़ अधिक नए  मतदाता थे. इतना ही नहीं करीब 14 करोड़ अधिक लोगों ने मतदान किया था. 2014 के चुनाव में 2009 के मुकाबले भाजपा को लगभग नौ करोड़ ज्यादा मतदाताओं ने वोट किया था. यह भी जीत का एक कारण था.

भारतीय राजनीति के चुनावी इतिहास में  2014 आम चुनाव से पहले किसी भी चुनाव में इतने अधिक मतदाता नहीं जुड़े. इस  चुनाव में लोगों ने काफी संख्या में वोट भी किया. 2014 के चुनाव में जिन राज्यों में भाजपा ने अधिक सीटें जीतीं वहां के माहौल में अब तब्दीली आयी है. केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण उन राज्यों में फिर से अधिक से अधिक सीटें जीत पाना भाजपा के लिएचुनौती है.

अगर 2019 में देश में एक बड़ा महागठबंधन आकार लेता है तो यह भाजपा के लिए चुनौती होगी. उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में  बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन इसकी बानगी पेश कर चुका है. कांग्रेस भी राज्य-स्तरीय पार्टियों से बैठक कर पहल कर रही है. अगर  विपक्ष 2019 में एक मजबूत महागठबंधन बनाने में सफल हो जाता है तो 2019 के आम चुनाव में भाजपा कोकठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

नरेंद्र मोदी एक मंझे हुए नेता हैं और वह जानते हैं कि जनता को कैसे लुभाया और मनाया जाता है. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव को सियासत की नजर से देखता है न कि अपने कार्यकाल को जनमत संग्रह के रूप में. इसलिए सरकार के कार्यों के मूल्यांकन के बजाए जनता को ध्रुवीकरण की तरफ मोड़ना भाजपा का प्रयास होगा. यही कारण है कि भाजपा 2014 के अपने घोषणापत्र की चर्चाकरने से बचती है.2014 के वादों पर बात करने के बजाए भाजपा अब 2022 और 2024 की बात कर रही है. इसलिए अच्छे दिन का विपक्ष हमेशा से उपहास बनाता रहा है.

अनु जातिजनजाति कानून को लेकर पूरे देश में एक आम गुस्सा दिखा. इससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं इस वर्ग में नाराजगी है.  भाजपा का मुख्य चुमवी एजेंडा हिंदुत्व और प्रखर राष्ट्रवाद के नाम पर धु्रवीकरण करने की योजना जातिवाद में उलझी हुई दिखाई पड़ती है.  पेट्रोल-डीजल की अनियंत्रित कीमतों ने भी उम्मीदों के विपरीत गहरी निराशा को जन्म दिया है. भले ही विपक्ष कामहागठबंधन अभी तक आकार नहीं ले सका है लेकिन उसकी ताकत को कम आंकने की भूल भाजपा नहीं कर सकती.

सोशल मीडिया पर विपक्ष अब भाजपा को बराबर की टक्कर दे रहा है. भाजपा को 2019 जीतना है तो बिना देर किए बेहतर रणनीति बनानी होगी. जनता को पुनः विश्वास में लेना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा.   चुनावी गणित में महारत रखने वालों को लगता है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री कुछ ऐसा करेंगे जिससे 2019 कि हवा बनेगी लेकिन अब वक्त काफी कम है. विपक्ष आज भलेही टुकड़ों में विभक्त है लेकिन भाजपा के खिलाफ हवा बहने पर सत्ता के लिए लालायित दलों को एक होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.

इसलिए भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि सियासत में आत्ममुग्धता और ब्रांड हमेशा कारगर साबित नहीं होता. लिहाजा जनता के विश्वास और अपने किये वादों पर इतने कम समय में खरा उतर कर जनता के बीच चुनावी मैदान में जाना एक सत्ताधारी राजनीतिक दल के लिए कठिन चुनौती है. 2019 की भाजपा की राह को आसान नहीं माना जा सकता. अगले कुछ माह भाजपा के लिएचुनौती भरा है.

संजय मेहता ,लेखक परिचय  – समसामयिक मुद्दों पर लिखना. पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट , वर्तमान में विधि में अध्ययनरत.

 

News Reporter
Vikas is an avid reader who has chosen writing as a passion back then in 2015. His mastery is supplemented with the knowledge of the entire SEO strategy and community management. Skilled with Writing, Marketing, PR, management, he has played a pivotal in brand upliftment. Being a content strategist cum specialist, he devotes his maximum time to research & development. He precisely understands current content demand and delivers awe-inspiring content with the intent to bring favorable results. In his free time, he loves to watch web series and travel to hill stations.
error: Content is protected !!