; केंद्र सरकार द्वारा दिए गए रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी ..
केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 169007 रेमेडिसिविर इंजेक्शन में से 111878 की कालाबाजारी हुई, 392 करोड़ का हिसाब दो-आदेश गुप्ता

नई दिल्ली, 4 जून। कोरोना की दूसरी लहर में जितनी तेजी से संक्रमण लोगों को अपनी चपेट में लेता गया उतनी ही तेजी के साथ बेड, आईसीयू, ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी चरम पर पहुंच गई, जिसमें केजरीवाल सरकार की संलिप्तता के सबूत खुद उनके मंत्री और विधायकों ने ही दे दिए। उच्च न्यायालय को भी कालाबाजारी के मामलों को देखते हुए हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ठहरे अपने मन की करने वाले, उन्होंने न ही उच्च न्यायालय की सुनी और न ही जनता की। इस महामारी के समय में भी कालाबाजारी कर जनता को ठगने के लिए केजरीवाल सरकार, प्रशासनिक अधिकारी, नोडल ऑफिसर, ड्रग कंट्रोलर और दवाइयों के खुदरा विक्रेताओं के गठजोड़ देखने को मिले। कालाबाजारी के बढ़ते मामलों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में 303 केस दर्ज किए और 153 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इस संकट के समय में कालाबाजारी के दंश से एम्बुलेंस सेवा, अस्पताल में मरीजों को मिल रहे खाने की गुणवत्ता, टेस्टिंग किट्स भी अछूते नहीं रहे। जिसका दुष्परिणाम दिल्ली की भोली-भाली जनता भोग रही है। कोरोना काल में हुए कालाबाजारियों के मुखिया अरविंद केजरीवाल का पर्दाफाश करने के लिए आज प्रदेश कार्यालय में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी और सांसद श्री हंसराज हंस ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता श्री अभय वर्मा उपस्थित थे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि इस संकट के समय में साथ मिलकर महामारी से लड़ने की बजाए मुनाफाखोर जीवनरक्षक दवाओं पर ही कुंडली मारे बैठे थे। इनकी कालाबाजारी ने बीमार लोगों के परिजनों के जख्मों को कुरेदने का काम किया। मुनाफाखोरों ने 2500-3000 रुपये में मिलने वाले रेमेडिसिविर के एक वाइल को 45,000-70,000 रुपये में बेचा, 40,000 रुपये के टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के लिए 2.5 लाख रुपये तक मांगे। एक आरटीआई के अनुसार केंद्र की ओर से केजरीवाल सरकार को 169007 रेमेडिसिविर इंजेक्शन मिले, लेकिन कोर्ट में दिये गए एफिडेविट में केजरीवाल सरकार ने कहा कि उन्हें 57129 रेमेडिसिविर इंजेक्शन ही मिले, इन दोनों आंकड़ों में 111878 का अंतर है, जिसकी लगभग 392 करोड़ रुपये में कालाबाजारी की गई। आखिर इतनी बड़ी संख्या में यह इंजेक्शन मिलने के बाद भी जरूरतमंद लोगों को मिलने की बजाय कालाबाजारी की भेंट कैसे चढ़ गए। पहले रेमडेसिविर और ऑक्सीजन इसके बाद अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस मरीजों के लिए अब अम्फोटेरीसी-बी नामक इंजेक्शन बाजार से गायब हो रहे हैं। एक इंजेक्शन की कीमत 11000-20000 रुपये तक वसूली जा रही है, जबकि इसकी कीमत 300-400 रुपये है। 
श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में दम तोड़ती दिल्ली को बचाने में केजरीवाल सरकार ने जो नकारात्मकता और असावधानी दिखाई है वह अक्षम्य है। आश्चर्य यह देखकर हुआ कि एक ओर ऑक्सीजन के अभाव में लोगों की मृत्यु हो रही थी और दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेता और चहेते ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर, फ्लोमीटर की जमाखोरी और कालाबाजारी कर रहे थे। केजरीवाल सरकार में मंत्री इमरान हुसैन हों या विधायक दीलीप पांडे, प्रवीण कुमार या प्रीति तोमर सभी ने मुनाफा कमाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की होर्डिंग करनी शुरू कर दी थी। वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल नवनीत कालरा के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी का भंडाफोड़ होने पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक भी शब्द नहीं कहा, कार्रवाई का निर्देश देना तो दूर की बात थी। मुख्यमंत्री तमाशबीन होकर त्रासदी को देखते रहे और जब उनसे सवाल किया गया तो कागजों तक सीमित उपायों को लेकर प्रचार करते रहे और दूसरी तरफ उनके अपनों ने दिल्लीवासियों की जान से खिलवाड़ करने में गुरेज नहीं किया।
नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार के नोडल ऑफिसर्स अस्पतालों से सांठ-गांठ कर मरीजों के परिजन से लाखों की ठगी कर ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड्स दिला रहे थे। जून 2020 में निजी अस्पतालों द्वारा कोरोना के नाम पर मरीजों की लूट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया जिसके बाद दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों में बेड के रेट फिक्स कर दिए थे, लेकिन इस साल कोरोनाकाल में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने निजी अस्पताल मालिकों से गांठ बांधकर उन्हें लूट की पूरी छूट दे दी जिसके कारण लोगों को इलाज के नाम पर 10 से 50 लाख रुपए तक खर्च करना पड़ा। 
श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए एम्बुलेंस के नाम पर धांधली करने की पूरी छूट देने में कोई कमी नहीं की। थोडी-थोड़ी दूर जाने के लिए एम्बुलेंस वालों ने हजारों रुपए वसूले और यदि किसी कोरोना मरीज की मृत्यु हो गई तो उसके शव के लिए 10 किलोमीटर के 50 हजार रुपए तक मांगे गए। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद दिल्ली केजरीवाल सरकार ने एम्बुलेंस किराए की कालाबाजारी पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जबकि ऐसी महामारी में केजरीवाल सरकार को निजी एम्बुलेंस अधिकृत कर उन्हें निजी एम्बुलेंस उपलब्ध कराया जाना चाहिए था यही नहीं बल्कि अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों को पौषिक आहार तक उपलब्ध नहीं कराया। मरीजों के परिजनों को खाना पहुँचाने के लिए दिल्ली के सामाजिक संगठन, संस्थाएं को आगे आना पड़ा जबकि पौष्टिक आहार के नाम पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने उससे मोटी रकम टेंडर में तय की गई थी। 
सांसद श्री हंसराज हंस ने कहा कि जरूरत के समय जितनी उम्मीद के साथ जनता मुख्यमंत्री केजरीवाल से मदद की आस लगाती है उसके कई गुना ज्यादा तकलीफ देकर वह जनता के भरोसे को कुचलकर राजनीति करने में मग्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर, 2020 से जब हरियाणा ने टेस्टिंग के रेट 2400 रुपये से घटा कर 800 रुपये कर दिया, लेकिन दिल्ली सरकार ने टेस्टिंग रेट में कोई बदलाव नहीं किया, जब दिल्ली सरकार पर सवाल उठने लगे तो 30 नवंबर, 2020 से दिल्ली में टेस्टिंग के रेट को कम किया। किसी तरह रेट में कमी कर दी, लेकिन टेस्टिंग के आंकड़ों से हेरफेर और टेस्टिंग किट खरीदने में हुए उलट-फेर पर लगाम कसना मुख्यमंत्री केजरीवाल को मुनासिब नहीं लगा। लोगों को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए 2400 रुपये तो वहीं एंटीजेन टेस्ट के लिए 1300 रुपये देने पड़े। चेस्ट एमआरआई जो 2700-3500 रुपये में होते थे उसके लिए निजी लैब वालों ने 6000-8000 रुपये वसूले। खून जांच के लिए भी 4000-5000 रुपये लिए गए। 1 जून, 2021 को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार अब तक दिल्ली में 1 करोड़ 93 लाख 73 हजार 093 टेस्ट हो चुके हैं, अगर इस आंकड़े को देखे तो दिल्ली में सभी लोगों की टेस्टिंग हो चुकी है जो कि सरासर झूठ है। केजरीवाल सरकार सरकारी आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने के लिए फर्जी नाम लिख कर टेस्टिंग किट निजी लैब्स को बेच कर कालाबाजारी कर रही है। अगर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने टेस्टिंग को लेकर जरा भी ईमानदारी दिखाई होती तो जनता को उन दुर्भाग्यपूर्ण हालातों से नहीं गुजरना होता और उनके अपनों की जान सलामत होती।
दिल्ली भाजपा ने केजरीवाल सरकार से पूछे पांच सवाल:
1. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 169007 रेमेडिसिविर इंजेक्शन में से 111878 की कालाबाजारी हुई, 392 करोड़ का हिसाब दो?
2. एक तरफ केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन की बनावटी नकली कमी कर रही थी, दूसरी तरफ “आप“ के गुर्गे कालाबाजारी में लिप्त थे, जवाब दो?
3. केजरीवाल सरकार के नोडल ऑफिसर्स ने अस्पतालों से सांठ-गांठ कर ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड की कालाबाजारी की, केजरीवाल जवाब दो?
4. केजरीवाल सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए एम्बुलेंस और खाने के नाम पर मनमानी लूट क्यों होने दी? जवाब दो?
5. केजरीवाल सरकार ने कोरोना टेस्टिंग किट्स की कालाबाजारी कर दिल्ली की जनता की परेशानी बढ़ाने का काम खुलेआम किया, क्यों नहीं रोक पाए कालाबाजारी, जवाब दो?

News Reporter
Vikas is an avid reader who has chosen writing as a passion back then in 2015. His mastery is supplemented with the knowledge of the entire SEO strategy and community management. Skilled with Writing, Marketing, PR, management, he has played a pivotal in brand upliftment. Being a content strategist cum specialist, he devotes his maximum time to research & development. He precisely understands current content demand and delivers awe-inspiring content with the intent to bring favorable results. In his free time, he loves to watch web series and travel to hill stations.
error: Content is protected !!