; आतंकी से सिंगर बनने तक की अल्ताफ अहमद मीर की पूरी कहानी
आतंकी से सिंगर बनने तक की अल्ताफ अहमद मीर की पूरी कहानी

ज़ेबा ख़ान/आज हम आपको रूबरू करवाएगें एक ऐसे शख्स की ज़िन्दगी से जो आतंकी बनने के लिए घर से निकला था लेकिन वो आतंकी न बनकर एक सिंगर बन गया। जी हां हम बात कर रहे हैं अन्तनाग के रहने वाले अल्ताफ अहमद मीर के बारे में। आपको बता दे अनंतनाग को घाटी का इस्लामाबाद भी कहा जाता है। दरअसल आज से 28 साल पहले साल 1990 में अल्ताफ आतंकी बनने के लिए अपना घर छोड़ कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए थे। वे अपने साथ कई युवाओं को भी ले गए थे। लम्बे समय तक घर से कोई संपर्क न होने के चलते उनके परिजनों ने मान लिया था कि उनकी मौत हो चुकी है। इसी बीच कोक स्टूडियो पाकिस्तान की ओर से उनका गाना जारी किए जाने के बाद उनके जीवित होने की बात सामने आयी।

आपको बता दें बता दें अल्ताफ पाकिस्तान सिंगर बनने के लिए नहीं गए थे। अल्ताफ अहमद मीर ने बकायदा अपने कुछ दोस्तों के साथ एलओसी को पार किया था। कश्मीर को आज़ाद करवाने लिए पाकिस्तान मीर हाथियार चलाना सिखने गये थे ।लेकिन अल्ताफ को हथियार चलाना सिखने से ज्यादा उनका ध्यान संगीत की तरफ रहता और उन्होंने इसी के चलते ढफली बजाना सिखा। अल्ताफ ने जब घर छोड़ा तब उनकी उम्र 22 साल की थी और वो आतंकी बनने पहले वो बस में कंडेक्टर का काम दिन में करते थे और रात में चैन स्टिचिंग का काम करते थे।आपको बता दें चेन स्टिचिक एक तरह की कड़ाई का नाम है जिसमे चैन की तरह की कड़ाई होती है।

अल्ताफ भले ही उग्रवाद की ट्रेनिंग लेने के लिए कैंप गए थे लेकिन उनका मन उस कैंप में नही लगा बच्चपन से ही अल्ताफ को संगीत की तरफ झुकाव था। साल 1994 में एक बार अल्ताफ घर तो लौटे लेकिन ज्यादा दिन वो घर में नहीं रूके  उस समय में घाटी में उग्रवाद का जबाव उग्रवाद से ही दिया जा रह था और अनंतनाग में उस समय में ईखवान में अपना सिर उठा लिया था जिसके चलते साल 1995 में अल्ताफ एक बार फिर पाकिस्तान चले गए और फिर कभी नहीं लौटे। दरअसल मीर मुज़्ज़फराबाद में बस गए मुज़्ज़फराबाद पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर की राजधानी है। और वहां पर वो लड़को चैन स्टिचिंग सिखाने के साथ-साथ वो एक एनजीओ से जुड़ गए।  उन्होंने पीर राशिम से संगीत की तालीम ली और एक दिन एक दोस्त की शादी में उन्होंने गाना गया जिसको रेडियो मुजफ्फराबाद में काम करने वाले एक व्यक्ति ने सुना। उसने इन्हें रेडियो के डायरेक्टर से मिलवाया। वॉयस टेस्ट के बाद उन्होंने इन्हें काम दे दिया। इस तरह मीर के संगीत की शुरुआत हुई। उन्होंने रेडियो पर शो करना शुरू कर दिया।

2017 में कोक स्टूडियो नए टैलेंट की तलाश कर रहा था तभी एक महिला ने उनका नाम सुझाया। साल2017 अप्रैल में कोक स्टूडियो के प्रोड्यूसरों ने अल्ताफ से मुलाकात की और उन्हें काम दिया। जहां उन्होंने ने अहमद मजाहोर के एक गाने को गाया। 11जुलाई को हा गुलू तोहै मासा विच वन यार ये फूलों क्या तुमने मेरे महबूब को देखा है। जब ये गाना यूट्यूब पर अपलोड हुआ पाकिस्तान को साथ-साथ हिंदुस्तान में भी खूब देखा जा रहा है। इस गाने को अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैे। ये गाना रिलीज़ होने के बाद अल्ताफ का परिवार बहुत खुश है वो लोग जिसको अब तक मरा हुआ समझ कर जी रहे थे अल्ताफ का अचानक गाना देखकर बेहद खुश है और वो लोग उसके घर लौटने की कामना कर रहे हैं।    

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