; जमीनों की पैमाइश संबंधी विवाद ख़त्म करने के लिए ये काम करेगी योगी सरकार
जमीनों की पैमाइश संबंधी विवाद ख़त्म करने के लिए ये काम करेगी योगी सरकार

रविन्द्र शर्मा,लखनऊ।

किसानों की जमीन की पैमाइश होगी जीपीएस युक्त मशीन से।
राज्य सरकार जमीनों की पैमाइश संबंधी विवाद को खत्म कराने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। जमीनों की पैमाइश अब इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस) से कराई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक तहसीलों में पांच-पांच मशीनें खरीदी जाएंगी। राजस्व विभाग द्वारा इस योजना का मंत्रिपरिषद के समक्ष 100 दिन और 6 माह के एजेंडे में प्रस्तुतीकरण किया जा चुका है और अब इस योजना को शीघ्रातिशीघ्र धरातल पर उतारने की कार्रवाई चल रही है। जिससे प्रदेश के नागरिकों को इसका लाभ मिल सके।

ईटीएस मशीनों से होगी जमीनों की पैमाइश
उत्तर प्रदेश का राजस्व विभाग बिहार एवं पंजाब की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में ईटीएस से जमीनों की पैमाइश कराने की व्यवस्था करने जा रहा है। ईटीएस मापन प्रक्रिया के बारे में बताया जा रहा है कि मशीन से निकलने वाली किरणें जमीन की नपाई करेंगी। इससे एक सेंटीमीटर के काम ज्यादा का भी फर्क नहीं आएगा। ईटीएस प्रक्रिया में इसे जमीन के एक किनारे पर रखा जाएगा और दूसरे किनारे पर इसका प्रिज्म रखा जाएगा। बटन दबाते ही मशीन से किरणें निकलेंगी और प्रिज्म से प्रिज्म की दूरी रिकॉर्ड कर लेगी। जीपीएस का भी उपयोग नपाई में होगा। इससे नपाई का काम तो तेजी से होगा ही, साथ में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं होगी। राजस्व विभाग नई व्यवस्था के लिए लेखपालों को प्रशिक्षण देगा।

खरीदी जाएंगी 1750 मशीनें
राजस्व विभाग लोगों की सुविधाओं के लिए पहले चरण में प्रत्येक तहसील में पांच-पांच इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन खरीदेगा। प्रदेश में मौजूदा समय 350 तहसीलें हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो कुल 1750 मशीनें खरीदी जाएंगी। इन मशीनों को चलाने के लिए प्रत्येक तहसील में पांच-पांच टीमें लगाई जाएंगी। राजस्व विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक राज्य सरकार जमीनों की पैमाइश के नाम पर होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए यह उपाय करने जा रही है। इसके आने के बाद जमीन पैमाइश के नाम पर होने वाली गड़बड़ी काफी हद तक रुक जाएगी और इसके नाम पर होने वाला विवाद भी खत्म होगा। प्रदेश में अधिकतर विवाद जमीन को लेकर होता है। इस विधि से जमीन की नपाई करने पर राजस्व विभाग के अधिकारियों का काफी समय भी बचेगा और ज्यादा से ज्यादा किसानों की शिकायतों पर समयबद्ध जमीनों की नाप की जा सकेगी, जिससे भूमि संबंधी विवादों का शीघ्र निपटारा हो सकेगा और इससे कानून व्यवस्था कायम रखने में भी काफी मदद मिलेगी, क्योंकि प्रशासनिक स्तर पर जमीनी माप संबंधी विवादों के लम्बित होने के कारण अनेकों बार आपसी झगड़े बड़ा रूप ले लेते हैं।

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