; तो क्या ताइवान से पहले अरुणाचल प्रदेश कब्ज़ा लेगा चीन ? - Namami Bharat
तो क्या ताइवान से पहले अरुणाचल प्रदेश कब्ज़ा लेगा चीन ?

आकाश रंजन: पिछले साल लद्दाक में घुसपैठ के बाद अब चीन की नज़र भारत के अरुणाचल प्रदेश पर है। मीडिया खबरों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में घुसने की कोशिश की है। लगभग 200 सैनिको के साथ चीन ने ये ज़ुर्रत की है। स्थानीय लोगो का कहना है कि चीनी सैनिक जाते जाते एक पुल को भी नस्ट कर गए है। जिसे अधिकारियो द्वारा नकारा जा रहा है। मालूम हो कि चीन की पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य को अपना दक्षिण तिब्‍बत मानता और बताता रहता है। 

क्यों पड़ा है चीन भारत के तवांग के पीछे आईये समझते है। अंग्रेज़ो के राज के वक़्त साल 1914 में तिब्बत चीन और अंग्रेजी हुकूमत के बीच एक समझौता हुआ। यह समझौता शिमला में किया गया था। इस समझौता में सीमा से जुडी कई ज़रूरी फैसले लिए गए। अंग्रेजी हुकूमत और तिब्बत के बीच करीब 900 किलो मीटर की सीमा खींची गयी। इसके तहत अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका भारत का हिस्सा माना गया। ताज्जुब की बात है कि इस समझौता का कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं रखा गया था। अब यही पर चीन ने खेल कर दिया। चीन ने तत्काल वाले मैप पर तो सहमती जताई और हस्ताक्षर कर दिया। लेकिन बाद में डिटेल्ड मैप पर हस्ताक्षर नहीं किये। यही से शुरू हुआ तवांग ज़िले को अपना मानने और बनाने का सिलसिला। तवांग अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से सिर्फ 450 किलो मीटर की दूरी पर है। एक ख़ास बात और है कि तवांग न सिर्फ चीन से अपनी सीमा को शेयर करता है बल्कि भूटान के साथ भी अपनी सीमा को शेयर करता है। 

चीनी सूत्रों के हवाले से खबर है कि, चीनी सरकार ने वर्ष 2020 से लेकर 2060 तक ताइवान, भारत और रूस से सैन्य मुठभेड़ की तैयारी कर रहा है। आगे बताया जा रहा कि, चीन का टारगेट 2025 तक ताइवान को अपने कब्जे में लेने का है। साथ ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग को साल 2035 से 40 के बीच तक अपना बनाने की है। मालूम हो कि चीन लगातार कहता आया है कि उसे धोखे और अँधेरे में रखते हुए मैकमोहन लाइन खींची गयी थी। इसी वजह से चीन मैकमोहन लाइन को मानने से इनकार करता रहता है। चीन का ये भी कहना है कि भारत और चीन के बीच कभी भी आधिकारिक तौर पर सीमा रेखा को तय नहीं किया गया है। इसके साथ चीन का मानना है कि तिब्बत कोई देश नहीं है। 

अब बात करते है ताइवान की 

हाल के दिनों में चीनी सैन्य विमान ने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में बार-बार उड़ान भर रहे हैं। ताइवान का हवाई क्षेत्र विशाल रूप से पुरे ताइवान में अच्छी तरह से फैला हुआ है। लेकिन चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र पर कोई गोली नहीं चलाई है। अभी तक चीनी और ताइवान के विमानों के बीच कोई करीबी कॉल नहीं हुई है। ताइवान की सरकार ने चीन के सैन्य अभ्यास की निंदा की है। और कहा है कि वह द्वीप की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा करेगी। और जोर देकर कहा कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं।

इसके बाद से खबर आ रही है कि अमेरिकी सैनिक भी ताइवान में सैन्य प्रशिक्षण के लिए रवाना हो चुके है। मालूम ही कि संयुक्त राज्य अमेरिका ताइवान के हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर है। और उसने लंबे समय से हथियार प्रणालियों पर कुछ हद तक प्रशिक्षण की पेशकश की है। सूत्रों से पता चला है कि ताइवानी बलों के प्रशिक्षण को पूरा करने के लिए अस्थायी तौर पर अमेरिकी विशेष सैन्य बलों के साथ छोटी छोटी संख्या में पूरे ताइवान में घूम रहे है।

वही पेंटागन, जिसने ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी प्रशिक्षण या ताइवानी बलों को सलाह देने के बारे में कोई खुलासा अभी तक नहीं किया है। न तो सैन्य तैनाती पर कुछ कहा है न कोई टिप्पणी दी है न कोई पुष्टि की। सिर्फ पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा, मेरे पास सैन्य जुड़ाव या प्रशिक्षण पर कोई टिप्पणी नहीं है, लेकिन मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगा कि ताइवान के साथ हमारा समर्थन है। और रक्षा संबंध पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा उत्पन्न मौजूदा खतरे के खिलाफ है। इसके साथ ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि, सभी सैन्य आदान-प्रदान वार्षिक योजनाओं के अनुसार किए जाते हैं। लेकिन यह कहने से इनकार कर दिया कि प्रशिक्षण कितने समय से चलेगा। 

जानकारों का कहना है कि अगर चीनी सरकार ताइवान को सैन्य बल से अपने कब्जे में ले लेती है, तो चीन हर एशियाई शक्ति जिसमे बड़ी और छोटी दोनों शक्तियां शामिल है उनको ताइवान के खिलाफ एकजुट करेगा। यहां तक ​​कि चीनी सरकार भी समझेंगे कि ऐसा कदम कही उल्टा न पड़ जाये। जिससे चीन की अर्थव्यवस्था को प्रभावित होने का को नुक्सान ज़्यदा है। भारत को भी चीन की इस कदम से चिंता करनी चाहिए। इससे चीन भारत के और करीब आ जाएगा।

News Reporter
Akash has studied journalism and completed his master's in media business management from Makhanlal Chaturvedi National University of journalism and communication. Akash's objective is to volunteer himself for any kind of assignment /project where he can acquire skill and experience while working in a team environment thereby continuously growing and contributing to the main objective of him and the organization. When he's not working he's busy reading watching and understanding non-fictional life in this fictional world.
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