ज़ेबा ख़ान/प्यार करने वालों के लिए न उम्र की सीमा होती है और न ही धर्म की कोई बेड़ियां होती हैं। वो लोग हर एक बंध को अपने साथी के लिए टूड़ देते हैं और एक दूसरे कि खुशी के लिए जीने औटर मरने लगते हैं। कुछ ऐसा ही हाल होता है, हर एक प्रेमी जोड़े का अपने महबूब के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज़बा रखते हैं। आज हम एक ऐसी ही जोड़े की बात कर रहें है।धर्म परिवर्तन किए बिना अंतर-धार्मिक विवाह की अनुमति देने वाले स्पेशल मैरिजिज़ एक्ट के तहत आज से 20 साल पहले कोलकाता में बसे इम्तियाज़ुर रहमान ने निवेदिता घटक से शादी की। जिसके बाद उनकी पत्नि का देहांत पिछले सप्ताह दिल्ली में मल्टी-ऑर्गन फेल्योर की वजह से होगा। निवेदिता ने धर्म परिवर्तन नहीं किया था जिसके चलते उनको मुखाग्नि दी गई। निवेदिता घटक का अंतिम संस्कार दिल्ली के ही निगम बोध घाट पर हिन्दू रीति-रिवाज़ से किया गया था। जब निवेदिता के पति ने उसका श्राद्ध करना चाहा तो उसको चितरंजन पार्क इलाके की मंदिर सोसायटी ने परिवार को श्राद्ध करने की अनुमति नहीं दी।
क्योंकि उनका मानना था कि मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के बाद महिला हिन्दू नहीं रही, भले ही उसने अपना धर्म नहीं बदला था। आपको बता दें पश्चिम बंगाल सरकार में सहायक आयुक्त (वाणिज्यिक कर) के पद पर काम करने वाले इम्तियाज़ुर रहमान का कहना है कि उन्होंने 6 अगस्त को काली मंदिर सोसायटी में 12 अगस्त की बुकिंग कर ली थी, और उसके लिए 1,300 रुपये का भुगतान भी कर दिया था। लेकिन बाद में मंदिर सोसायटी ने उन्हें बताया कि ‘ज़ाहिर कारणों से’ उनकी बुकिंग रद्द कर दी गई है। दरअसल मंदिर के पुजारी का कहना है कि इम्तियाज़ुर रहमान ने अपनी पहचान छुपाई और साथ बुकिंग बेटी के नाम से करवाई गई।उनकी पत्नी को मुस्लिम से शादी करने की वजह से हिन्दू नहीं माना जा सकता, क्योंकि विवाह के उपरान्त महिला अपने ससुराल का उपनाम तथा मान्यताओं को अंगीकार कर लेती है, और उसी समाज का हिस्सा बन जाती है। इसके चलते ही इम्तियाज़ुर रहमान को श्राद्ध करने की अनुमति नहीं दी गई।