मध्यप्रदेश का स्वर्ग देखने जरुर जाएं ‘पचमढ़ी’ हिल स्टेशन

तृप्ति रावत/ किसी न किसी वेकेशन पर हर कोई खूबसूरत वादियों की सैर करना चाहता है। वो चाहे बच्चा हो या फिर कोई बड़ा-बूढा। हर पर्यटक की पहली ख्वाहिश होती है कि वह हसीन वादियों से घिरा, हरियाली, फूलों की मदमस्त कर देने वाली खुशबू, पहाड़ियां, झरने, नदियां, बर्फ, झीलें आदि से घिरी जगह हो।

अगर आप भी इस वेकेशन को यादगार बनाने की सोच रहे हैं तो चलिए सैर करते हैं मध्य प्रदेश के खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी की। पचमढ़ी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में पड़ता है। यहाँ आकर आप यहाँ के शांत वातावरण, हरे-भरे पेड़ पौधे, संगीतमय झरने, कल-कल करती नदियां आदि के दिलकश नज़ारों में डूब जाएंगे

साथ ही पचमढ़ी में आप शिवशंकर के कई मंदिरों के दर्शन भी कर सकेंगे। आपको बता दें कि कैलाश पर्वत के बाद पचमढ़ी को ही भगवान शिव का दूसरा घर माना जाता है। तो चलिए दोस्तों तैयार हो जाइए मध्प्रदेश का खूबसूरत हिल स्टेशन और तीर्थ स्थल की सैर के लिए।

प्रियदर्शिनी प्वाइंट- यह पचमढ़ी सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की थी। इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद मनमोहक लगता है। चौरादेव, महादेव, धूपगढ़ नामक सतपुड़ा की तीन प्रमुख चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं।

पांडव गुफाएं- एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं। इन्हीं पांच गुफाएं के कारण इस स्थान को पचमढ़ी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहरे थे। सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कुटी कहा जाता है, जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है। पुरातत्व वेदताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था।

महादेव गुफा- नगर से 10 किलोमीटर दूर स्थित महादेव हिन्दुओं के लिए पूजनीय स्थल है। यह पवित्र गुफा भगवान शिव को समर्पित है। यह गुफा 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिस के सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। बता देंं कि गुफा के अंदर एक शिवलिंग बना हुआ है। यहां पर शिवरात्रि पूरे जोश के साथ मनाई जाती है।

मुधमक्खी झरना- नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर मधुमक्खी झरना है, जो यमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। नदी में गिरते इस खूबसूरत झरने से पंचमढ़ी में पानी की आपूर्ति की जाती है। नहाने के लिए यह झरना काफी लोकप्रिय है। दूर-दूर से पर्यटक यहां पर आकर  इस झरने में नहाते जरुर है।

चौरागढ़- महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं। आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है।

सतपुड़ा राष्टीय पार्क- 1981 में स्थापित सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क 524 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह पार्क असंख्य दुर्लभ पक्षियों का घर है। यहां बिसन, टाइगर, तेन्दुए और चार सींग वाले हिरन जसे जानवरों को देखा जा सकता है। यह पार्क सदाबहार साल, टीक और बांस के पेड़ों से भरपूर है। पार्क के आसपास ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।

अप्सरा विहार- पांडव गुफा के साथ ही अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल चाल द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है। अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और ग़ोताख़ोरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इस तालाब को पंचमढ़ी का सबसे सुन्दर ताल माना जाता है।

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