2019 तक वाराणसी से म्यांमार तक सीधी यात्रा कर सकेंगे भारतवासी

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर, 2018: मार्च 2019 तक गंगा बिल्कुल साफ हो जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि हमारी गंगा मैया निर्मल और अविरल बहती रहे और ऐसा तय सीमा में हो कर रहेगा। वाराणसी-म्यांमार का जलमार्ग तैयार हो चुका है जिससे लोग वाराणसी से म्यांमार तक सीधी यात्रा कर सकेंगें।… ये उक्त बातें केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने रोहिणी के जापानी पार्क में चल रहे अंतरराष्ट्रीय आर्य सम्मेलन के दौरान कही।
उन्होंने आगे कहा कि ऊंच-नीच का भाव समाज से उखारकर फेंकना होगा, इस मानसिकता से हमें काम करना होगा। मानवता, समता, सामाजिक-आर्थिक समानता के आधार पर समाज मंे बराबरी कायम करने का महर्षि दयानंद जी के सपने को पूरा करना, यही वैचारिक मिशन है। हम सबके प्रयासों से आनेवाले समय में हिन्दुस्तान तो बदलेगा ही। साथ ही मेरा विश्वास है कि इसी भाव और विचारधारा से हम विश्वगुरू बनकर पूरे विश्व को प्रेरणा देने का काम करेंगे। यह मेरा दृढ़ विश्वास है।

वहीं असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने कहा है कि आर्य समाज एक संस्था नहीं बल्कि आंदोलन का नाम है। उन्होंने आगे कहा कि समाज में फैली कुरीतियों को केवल शिक्षा के माध्यम से ही खत्म किया जाता है। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी को यह बात भली-भांति मालूम थी। इसलिए उन्होंने देश मे सैकड़ों डीएवी शिक्षण संस्थाओं को खोल कर समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया।
जबकि योगगुरू बाबा रामदेव ने महर्षि दयानंद के विचारों पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद के विचार ऐसे हैं जो मनुष्य की आत्मा को जगा देती है। मैं केवल सामान ही नहीं बना रहा हूं, मैं दयानंद सरस्वती जैसे विचारधारा वाले इंसान भी बना रहा हूं। उन्होंने कहा कि वेद ईश्वरीय भाषा है और उसकी प्रतिष्ठा स्वयं भगवान के संकल्प को पूरा करने जैसा है।

इसी दौरान हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देव व्रत ने गंगा, गौविज्ञान और आयुर्वेद पर जोर देते हुए कहा कि गाय के गोबर से जैविक खेती की जा सकती है और गौ सेवा के माध्यम से समाज में एक नया उदाहरण स्थापित किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का यह दूसरा दिन था जिसमंे सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, एमडीएच के महाशय धर्मपाल, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी समेत कई जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया। इस चार दिवसीय सम्मेलन 28 देशों के तीन हजार से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे है।

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