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विजय दिवसः Koo App पर छाया सैनिकों की वीरता का गुणगान

हर साल 16 दिसंबर का दिन हमारे देश के सैनिकों की वीरता का सम्मान करने के लिए विजय दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की थी और इस वर्ष जीत की 50वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। यह ऐतिहासिक जीत आज भी पूरे देश में गर्व और जोश के साथ मनाई जाती है। गुरुवार को इस मौक़े पर माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म Koo App पर यूज़र्स ने जमकर सैनिकों के शहादत को याद करते उनकी वीरता और सम्मान का गुणगान किया।

विजय दिवस भारत के सैनिकों की बहादुरी और वीरता का उदाहरण है। 1971 के संघर्ष के दौरान, भारतीय सैनिकों ने भारी बलिदान दिया। लगभग 3,900 भारतीय सैनिकों ने देश के ख़ातिर अपनी जान दी, जबकि 9800 से अधिक घायल हुए। यह दिन भारत के सबसे बहादुर सपूतों की वीरता, अटूट साहस और बलिदान की कहानी बताता है। Koo App पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी पोस्ट में लिखा, “शौर्य, वीरता, साहस और मानवता की रक्षा के संकल्प से भारतीय शूरवीरों ने 1971 में शत्रुओं को आत्मसमर्पण करने को विवश किया, और एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ। #VijayDiwas हमारी सेनाओं के पराक्रम को याद करने का दिन है। वो हैं, तो हम सुरक्षित हैं, हम निश्चिंत हैं।”

वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने अपनी कू पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल के सम्मान समारोह में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पण की। #VijayDiwas2021 #VijayDiwas”

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने Koo App पर देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले वीरों को याद करते हुए लिखा, “अतुलनीय साहस और शौर्य के साथ 1971 के युद्ध में दुश्मनों को पराजित कर देश का मस्तक ऊँचा करने वाले भारतीय सेना के वीर जवानों को नमन एवं समस्त देशवासियों को इस गौरवमयी ”विजय दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएं।”

अभिनेत्री अर्चना पूरन सिंह ने कू ऐप पर की गई अपनी पोस्ट में तस्वीरों संग शहीदों को याद करते हुए लिखा, “विजय दिवस की शुभकामनाएं। 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हमारे मन को उमंग से भर देती है। इसी दिन भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे। 16 दिसंबर का दिन सैनिकों के शौर्य को सलाम करने का दिन है। वीरता और शौर्य की मिसाल है विजय हमारे लिए । #VijayDiwas #Pride #Koooftheday #Koo #KooKiyaKya #kooindia”

वहीं, Koo App पर मौजूद कई कवियों ने भी इस दिन की महत्ता को याद करते हुए कविताओं के रूप में श्रद्धांजलि दी। एक कवि अचिंत्य ईशान द्विवेदी ने लिखा, 

देश की लाज बचाने को

तुमने सर अपना कटा दिया,

बिन प्राण गिरे भू पर लेकिन

छाती पे तिरंगा उठा लिया,

देकर बलिदान जवानी का

हम सबको ऋणी बना गए तुम

हुंकार भरी रण में तुमने

घुटनों पर दुश्मन झुका दिया।

#1971war

#india”

Koo App ने चलाया वीरों को सलाम अभियान

विजय दिवस पर वीरों की शहादत को सलामी देने और इस दिन की महत्ता को याद करने के लिए देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म Koo App ने #वीरोंकोसलाम #VijayDiwasWeek हैशटैग के साथ अभियान चलाया, जिसमें इस मंच ने यूज़र्स से साहित्यिक रचना या कविताओं के रूप में अपने विचार लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। कू ऐप ने वीरों को सलाम पोस्ट में एक तस्वीर के साथ लिखा, ‘अपने प्राणों की आहुति से जिसने बढ़ाई भारत माँ की शान, उन्हीं वीरों को आइए करें हम कू पर सलाम!’ कू ने अपनी पोस्ट में लिखा, “इस हफ्ते, आइए किसी भी साहित्यिक रचना या कविता के रुप में हम मिलकर करें हमारी भारतीय सेना के वीर जवानों को सलाम, जो हर हाल में हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते है। #वीरोंकोसलाम का प्रयोग करते हुए हमारे उन्हीं वीरों को समर्पित अपनी रचना या कविता शेयर करें। #VijayDiwasWeek”

इस अभियान के तहत शारदा कुमारी नामक एक यूजर ने कू पोस्ट में लिखा, “” आओ झुककर सलाम करें उनको, जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,

खुश नसीब होते हैं वो लोग, जिनका लहू इस देश के काम आता है ”

1971 के युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने वाले जांबाजों को नमन व समस्त देशवासियों को विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

एक यूज़र राहुल लाल ‘भानू’ ने Koo App पर एक शानदार कविता पोस्ट की, “मोमबत्तियों की मशालें, और चिंताएँ लाल की,

कब तलक होगी हिमाक़त? कब तलक ये पालकी?

हर धधकती इक चिता, करती सवालें काल की

और उफनता खून अपना, टिकता न इक साल भी।

ये टिक है अपनी वतन की, खोया क्यू है सारथी?

मोमबत्तियों की मशालें, और चिंताएँ लाल की।।

गहन है चिंता बड़ी, चिंतन ज़रूरी है अभी,

रोष है जो अब जगा, न युद्ध घोष हो कल कभी।

ये रण भूमि की रेत भी अब, देख पथ को, हारती।

मोमबत्तियों की मशालें, और चिंताएँ लाल की।।

आज फिर उद्घोष हो, एकता ये देश की

आतंक के विरुद्ध हो, उठो सभी, चलो सभी।

ये मातृभूमि भी छलित अब, आज ये चित्कारती,

मोमबत्तियों की मशालें, और चिंताएँ लाल की।।”

विजय दिवस का क्या महत्व है?

विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद दिलाता है। इस लड़ाई के अंत में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। भारत की विजय के बाद, पूर्वी पाकिस्तान, जिसे अब बांग्लादेश के रूप में जाना जाता है, ने स्वतंत्रता प्राप्त की। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी, भारत के पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए सहमत हुए। जनरल नियाज़ी ने 16 दिसंबर की शाम को आत्मसमर्पण के दस्तावेजों को स्वीकार कर लिया और युद्ध को आधिकारिक तौर पर भारत ने जीत लिया। यही कारण है कि इस दिन को विजय दिवस के रूप में जाना जाता है और हर साल मनाया जाता है।

16 दिसंबर 1971 को क्या हुआ था?

शाम साढ़े चार बजे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा हेलीकॉप्टर से ढाका हवाईअड्डे पहुंचे। वह और जनरल नियाज़ी एक मेज पर बैठे और एक साथ आत्मसमर्पण की कागजी कार्रवाई को अंजाम दिया। लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा को जनरल नियाज़ी की रिवॉल्वर सौंपी गई। नियाज़ी की आँखों से आँसू छलक पड़े। स्थानीय लोग नियाज़ी की हत्या के लिए आतुर दिख रहे थे, लेकिन वरिष्ठ भारतीय सैन्य कमांडरों ने उन्हें सकुशल बाहर निकाल लिया।

News Reporter
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली निकिता सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखती हैं पिछले कुछ सालों से परिवार के साथ रांची में रह रहीं हैं और अब देश की राजधानी दिल्ली में अपनी सेवा दे रहीं हैं। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग अकादमी से पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद निकिता ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के न्यूज़ पोर्टल्स में काम किया। उन्होंने अपने कैरियर में रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग के साथ-साथ वॉइस ओवर में भी तजुर्बा हासिल किया। वर्त्तमान में नमामि भारत वेब चैनल में कार्यरत हैं। बदलती देश कि राजनीती, प्रशासन और अर्थव्यवस्था में निकिता की विशेष रुचि रही है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही आम जन मानस को प्रभावित करने वाली खबरों पर पैनी नज़र रखती आ रही हैं। बेबाकी से लिखने के साथ-साथ खाने पीने का अच्छा शौक है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में योगदान जारी है।
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