ज़ेबा ख़ान/आपने कभी कहीं सुना है कि किसी चिड़िया के अंडे तोड़ पर किसी को सज़ा दी जाए। ये तुग़लकी फरमान एक पांच साल की बच्ची पर लगाया गया है।दरअसल ये मामला राजस्थान के बूंदी जिले का है। बच्ची ने दो जुलाई को अपने स्कूल में टिटहरी पक्षी के अंडों को गलती से तोड़ दिया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि पक्षी बारिश का संदेशवाहक है और इसे या इसके अंडों को नुकसान पहुंचने पर सजा दी जाती है।बच्ची की इस छोटी सी गलती के लिए पंचायत बैठी जिसमें ये फैसला सुनाया गया कि बच्ची ने पाप किया है और ‘पाप’ की सजा के तौर पर बच्ची को जाति से बाहर कर दिया और उसके तीन दिन तक घर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी।
आपको बता दें ये पहली कक्षा में पढ़ती है। इस मासूम बच्ची को घर सामने बने बाडे में रहने की पंचायत ने इजाज़त दी जब इसके खिलाफ इस बच्ची के पिता ने आवाज़ उठाई तो फिर से एक बार पंचायत बैठी और पंचों ने इस सजा को बढ़ाकर 11 दिन कर दिया ।
जब ये मामला स्थानीय प्रशासन और हिंदोली तहसीलदार भगवान सिंह और एसएचओ लक्ष्मण शर्मा के संज्ञान में आया तो वे गांव पहुंच गए। और अधिकारियों ने समुदाय के सदस्यों से बात की साथ ही उन लोगों को ये भी बताया कि उनका फरमान कानून के विरुद्ध है।जिसके बाद वो लोग अपना फरमान वापस लेने और नियमों का पालन करने को राजी हो गए।इस बच्ची को अंधविश्वास को शिकार होने से बचाने में प्रशासन का बहुत बड़ा योगदान देखने को मिला नहीं तो इस बच्ची को 11 दिन तक घर के सामने बाडे में गुज़ारना पड़ते।