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निर्भया कांड के हुए नौ साल, पर क्या महिलाएं सुरक्षित हैं आज

दिल्ली में निर्भया कांड को सामने आए ठीक नौ साल पूरे हो चुके हैं। वर्ष 2012 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई यह एक ऐसी भयानक घटना थी, जिसकी याद आज भी किसी भी व्यक्ति की रूह को हिला देती है। 16 दिसंबर 2012 को हुए इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं थीं, जिसके बाद भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा के कानून को बदलने को लेकर बहस तेज हुई। इसके बाद रेप जैसे मामले में सजा को सख्त करने की मांग की गई। कानून में भी बदलाव भी लाए गए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए एक कोष की स्थापना की गई। हालांकि, देश भर में बलात्कार के आंकड़े अभी भी हतोत्साहित करने वाले हैं और आंकड़ों के मुताबिक, दोष साबित करने की दर कम बनी हुई है।

नतीजतन 2012 के निर्भया कांड के बाद आपराधिक कानून में किए गए परिवर्तनों से वांछित परिणाम नहीं मिले हैं क्योंकि समस्या कानून को एक निवारक बनाने के लिए कार्यान्वयन के साथ है। इसलिए, कई साल बाद न्याय तो मिला पर इसकी सीख का पता नहीं क्योंकि महिला सुरक्षा आज भी एक बढ़ा सवाल है।

आज 16 दिसंबर के दिन भी कई लोग इसको याद करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। सोशल मीडिया Koo App पर भी लोग कई तरह की सलाह औऱ पोल साझा करते हुए महिला सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं।

अभिनेत्री सौंदर्या शर्मा ने भी Koo करते हुए एक पोल साझा किया जिसमें उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण निर्भया कांड को आज 9 साल हो गए। अगर महिला सुरक्षा में कोई सुधार हुआ है तो मतदान में मेरी मदद करें?आइए इसे महिलाओं के लिए एक बेहतर दुनिया बनाएं

News Reporter
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली निकिता सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखती हैं पिछले कुछ सालों से परिवार के साथ रांची में रह रहीं हैं और अब देश की राजधानी दिल्ली में अपनी सेवा दे रहीं हैं। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग अकादमी से पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद निकिता ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के न्यूज़ पोर्टल्स में काम किया। उन्होंने अपने कैरियर में रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग के साथ-साथ वॉइस ओवर में भी तजुर्बा हासिल किया। वर्त्तमान में नमामि भारत वेब चैनल में कार्यरत हैं। बदलती देश कि राजनीती, प्रशासन और अर्थव्यवस्था में निकिता की विशेष रुचि रही है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही आम जन मानस को प्रभावित करने वाली खबरों पर पैनी नज़र रखती आ रही हैं। बेबाकी से लिखने के साथ-साथ खाने पीने का अच्छा शौक है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में योगदान जारी है।
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