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सामूहिक दुष्कर्म मामले में यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत दो को उम्रकैद

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही लखनऊ पुलिस ने पूर्व मंत्री पर POCSO अधिनियम की धाराओं सहित बलात्कार और अन्य गंभीर आरोपों के लिए मामला दर्ज किया था। शुक्रवार को सजा सुनाए जाने के वक्त तीनों आरोपी कोर्ट में मौजूद थे।

लखनऊ की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और दो अन्य, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को सामूहिक बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही तीन दोषी लोगों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) पवन कुमार राय ने 10 नवंबर को प्रजापति, शुक्ला और तिवारी को चित्रकूट की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के आरोप में और पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। आरोपियों पर महिला की नाबालिग बेटी के साथ भी रेप का भी मामला दर्ज था। 

इससे पहले अदालत ने चार अन्य आरोपी, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह “पिंटू”, चंद्रपाल और रूपेश्वर “रूपेश” को सबूतों के अभाव में सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

शुक्रवार को सजा सुनाए जाने के वक्त तीनों आरोपी कोर्ट में मौजूद थे।

18 फरवरी, 2017 को, उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की महिला ने प्रजापति और उसके छह सहयोगियों के खिलाफ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया था। इसके साथ पीड़ित महिला ने अपनी 17 वर्षीय बेटी के साथ गौतमपल्ली, लखनऊ में अपने आधिकारिक आवास पर बलात्कार करने का प्रयास करने के लिए भी इन तीनो पर मुकदमा दर्ज करवाया था। वह 2015 और 2016 के बीच उत्तर प्रदेश में खनन मंत्री और समाजवादी पार्टी सरकार का हिस्सा थे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही लखनऊ पुलिस ने पूर्व मंत्री पर POCSO अधिनियम की धाराओं सहित बलात्कार और अन्य गंभीर आरोपों के लिए मामला दर्ज किया था।

प्रजापति 15 मार्च 2017 से जेल में हैं। 17 फरवरी, 2017 को जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश पुलिस को जांच करने और आठ सप्ताह के भीतर एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।

प्रजापति को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2016 में समाजवादी पार्टी में पारिवारिक कलह के दौरान उनके मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया। पीड़िता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया था कि अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 के बीच महिला के साथ बार-बार रेप किया गया।

पीड़िता के वकील ने कहा कि महिला ने शिकायत तभी दर्ज कराई जब मंत्री ने उसकी नाबालिग बेटी का शील भंग करने की कोशिश की।

पीड़िता ने शिकायत की थी कि 2013 में खनन अनुबंध के लिए पूर्व मंत्री से मिलने पर उसके साथ भी बलात्कार किया गया था। उसने यह भी कहा कि प्रजापति ने उसकी अश्लील तस्वीरें लीं और तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी देकर तीन साल तक उसके साथ कई बार बलात्कार किया।

जब भाजपा ने राज्य में सरकार बनाई, तो उसने मई 2017 में पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया। प्रजापति पिछली समाजवादी पार्टी सरकार में खनन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने मंत्रालय में अनियमितताओं की जांच का भी सामना कर रहे हैं।

कब और क्या हुआ इस मामले में ?

2013: गंगा आरती के दौरान महिला गायत्री प्रजापति से राम घाट, चित्रकूट में मिली।

2014 से 2016: उसके साथ कई बार रेप किया गया।

17 अक्टूबर, 2016: उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी के पास सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत पीड़िता ने दर्ज कराई।

उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद, पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

17 फरवरी, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

18 जुलाई, 2017: गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी, आशीष शुक्ला और अन्य के खिलाफ आरोप तय।

10 नवंबर, 2021: विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) अदालत ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को दोषी ठहराया।

अदालत ने विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह “पिंटू”, चंद्रपाल और रूपेश्वर “रूपेश” को सबूतों के अभाव में सभी आरोपों से बरी कर दिया।

12 नवंबर, 2021: कोर्ट ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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