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महात्मा गांधी को गाली देने वाले ‘कालीचरण महाराज’ गिरफ़्तार

धर्म संसद में महात्मा गांधी को अपशब्द और अमर्यादित टिप्पणी करने वाले संत कालीचरण को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। छत्तीसगढ़ में आरोपी संत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। अब  रायपुर पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया है। कालीचरण को अब रायपुर लाने की कार्यवाही की जा रही है।

दरअसल, रायपुर पुलिस ने कालीचरण को गुरुवार सुबह तड़के 4 बजे खजुराहो से 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम से पकड़ा है। आरोपी महाराज यहां एक किराए का मकान लेकर वहां छिपकर रह रहा था। इतन ही नहीं बताया जा रहा है कि उसने अपने छिपने के लिए एक कॉटेज भी बुक कराया था। अब पुलिस कालीचरण को कार से लेकर रायपुर के लिए रवाना हो गई है।

खुद को कालीपुत्र बताने वाले कालीचरण ने रायपुर धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा था। 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा किया गया। मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया।  मैं गोडसे को कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं, उनके चरणों में मेरा साष्टांग प्रणाम है, जिन्होंने उन्हें मार दिया।

आरोपी संत कालीचरण महाराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई तो उन्होंने कहा- गांधी को अपशब्द कहने के लिए मुझ पर FIR हुई है, मुझे उसका कोई अफसोस नहीं है। मैं गांधी से नफरत करता हूं, मेरे हृदय में गांधी के प्रति तिरस्कार है। कालीचरण ने नाथूराम गोडसे को महात्मा बताया और कहा- मैं गोडसे को कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं, उनके चरणों में मेरा साष्टांग प्रणाम है। कालीचरण ने इस पूरे मामले में सोमवार रात अपना पक्ष रखते हुए एक वीडियो जारी किया था।

कालीचरण ने करीब 8 मिनट 50 सेकेंड के वीडियो में अपने विवादित बयान पर कई तरह की बातें की। उन्होंने कहा कि गांधी की वजह से ही सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के प्रधानमंत्री नहीं बने। अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री बनते तो आज भारत अमेरिका से बड़ी ताकत बन सकता था। कालीचरण ने महात्मा गांधी पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। भगत सिंह और राजगुरु की फांसी ना रुकवाने के आरोप भी लगाए। कालीचरण ने कहा कि कोई राष्ट्र का पिता नहीं हो सकता। यदि राष्ट्रपिता बनाना है तो छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप और सरदार पटेल जैसे लोगों को बनाना चाहिए जिन्होंने राष्ट्रकुल को एकत्र करने का काम किया। उन्होंने गांधी को देश का बंटवारा करने का जिम्मेदार बताया।

कालीचरण पिछले साल सुर्ख़ियों में तब आए थे जब जून, 2020 में उनका एक वीडियो वायरल हो गया था। इस वीडियो में वे शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते नज़र आए थे।कुछ दिनों पहले कालीचरण महाराज ने कोरोना वायरस को लेकर भी अजीबो ग़रीब बयान दिए थे।उन्होंने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक फ़्रॉड संस्था है और इसके डॉक्टर एवं विशेषज्ञ भी फ़्रॉड हैं।उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन कंपनियों से मिली भगत करके लोगों को डरा रहा है ताकि वैक्सीन की बिक्री बढ़े।उन्होंने यह भी दावा किया था कि जिन कोविड मरीज़ों की मौत हुई है उनके शव परिवार वालों को नहीं सौंपे जाते हैं, ऐसे में उनकी किडनी और आंखें वगैरह निकाल ली जाती होंगी। हालांकि, अपने इन आरोपों की पुष्टि के लिए कालीचरण महाराज कोई सबूत नहीं दे सके थे।

कौन है कालीचरण महाराज

संत कालीचरण का असली नाम अभिनीत धनंजय सराग है और भावसार समाज के हैं। पिता दवा की दुकान चलाते हैं। कालीचरण महाराष्ट्र के अकोला में स्थानीय युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं और 8वीं क्लास तक पढ़े हैं। बचपन में मां-बाप ने उन्हें मौसी के घर इंदौर भेज दिया था। कालीचरण को बॉडी बिल्डिंग का शौक है। क्लासिकल सिंगर की तरह आलाप लेकर सबको चौंका भी देते हैं। कालीचरण ने राजनीति में भी हाथ आजमाया। 2017 में अकोला नगर निकाय चुनाव में उन्होंने किस्मत आजमाई, लेकिन हार गए थे। इसी साल कालीचरण भोपाल के पास भोजपुर मंदिर में शिवतांडव स्त्रोत का पाठ कर चर्चा में आए थे। 

News Reporter
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली निकिता सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखती हैं पिछले कुछ सालों से परिवार के साथ रांची में रह रहीं हैं और अब देश की राजधानी दिल्ली में अपनी सेवा दे रहीं हैं। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग अकादमी से पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद निकिता ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के न्यूज़ पोर्टल्स में काम किया। उन्होंने अपने कैरियर में रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग के साथ-साथ वॉइस ओवर में भी तजुर्बा हासिल किया। वर्त्तमान में नमामि भारत वेब चैनल में कार्यरत हैं। बदलती देश कि राजनीती, प्रशासन और अर्थव्यवस्था में निकिता की विशेष रुचि रही है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही आम जन मानस को प्रभावित करने वाली खबरों पर पैनी नज़र रखती आ रही हैं। बेबाकी से लिखने के साथ-साथ खाने पीने का अच्छा शौक है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में योगदान जारी है।
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