; "विश्व पर्यावरण दिवस" जितने प्रयास हो रहे है, वो नाकाफ़ी हैं
“विश्व पर्यावरण दिवस” जितने प्रयास हो रहे है, वो नाकाफ़ी हैं

5 जून और पंचतत्व: कैसा अजब संयोग है कि 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और पंचतत्व ही इस सृष्टि का मूल आधार भी है। ये पांच मूल तत्व है, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन सबसे मिलकर ही बनता है, हमारा पर्यावरण। ये पंचतत्व न केवल इस सृष्टि का ही मूलाधार है, बल्कि हमारे शरीर की रचना के मूल में भी यहीं है।

पृथ्वी पर पाएं जाने वाले सभी जीवों में सबसे श्रेष्ठ हम मनुष्य ही है। अनादिकाल से आज तक हमने अपनी बुद्धि के बल पर बहुत तरक्क़ी कर ली है, या यूं कहें कि हम इस धरती के मालिक बन गए है, लेकिन इसके बदले में हमने अपने पर्यावरण को बहुत नुकसान भी पहुचाया है। जल,थल,आकाश या वायु सबको हम दिन-प्रतिदिन प्रदूषित करते जा रहे है। अपने भौतिक सुख-सुविधाओं को सर्वोपरि मानते हुए मनुष्य इस प्रकृति का दोहन करने में लगा हुआ है।

ऐसा नहीं है कि हमें पर्यावरण की चिंता हाल के वर्षों में ही सताने लगी है, बल्कि भारत देश के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो सदियों पहले से ही इसकी चिंता कर ली गयी थी और इसे ध्यान में रखकर ही अपना खान-पान, रहन-सहन और यहां तक कि ज़रूरी संसाधन भी हमेशा पर्यावरण हितैषी ही रहें किंतु जैसे-जैसे पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव हम पर पड़ता गया वैसे-वैसे भौतिक सुख के संसाधनों ने हमे भी पर्यावरण का दुश्मन बना दिया। आज यह समस्या इतना विकराल रूप ले चुकी है, कि यह किसी एक देश की समस्या न होकर सम्पूर्ण विश्व या कहें कि पूरे जीव-जगत की समस्या हो गयी है, क्योंकि अब इसके दुष्परिणाम सिर्फ हम मनुष्य ही नहीं बल्कि सारे प्राणी भुगत रहे है।

“पर्यावरण और हम” एक दूसरे से सीधे जुड़े हुए है, इसी बात को ध्यान में रखकर, पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण हेतु, संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए वर्ष 1972 में 5 जून से 15 जून तक विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। तत्पश्चात 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस प्रकार देखा जाए तो विगत लगभग 50 वर्षों से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के प्रति चिंता दिखाई दे रही है।

ऐसा नही हैं कि इस दिशा में बिल्कुल भी प्रयास नहीं हुए, लेकिन जितने प्रयास हो रहे है, वो नाकाफ़ी है। विकास की अंधी दौड़ में हम सभी कहीं न कहीं पर्यावरण को अनदेखा कर रहे है। यह न सिर्फ़ सरकारों का बल्कि सामाजिक दायित्व भी है, कि हम सभी अपने पर्यावरण की न केवल चिंता करें बल्कि इसे बचाने के अपने प्रयासों में और तेज़ी लाये।

“विश्व पर्यावरण दिवस” को मनाने का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब हमारी आने वाली पीढियों को हमारी गलतियों की सज़ा न भुगतना पड़े, सम्पूर्ण प्राणी जगत चैन की सांस ले सके। हम सभी को मिलकर ऐसे प्रयास करने ही होंगे, जिससे कि सुरक्षित रहें “पर्यावरण और हम”

एजेंद्र कुमार, कंसलटेंट, लोकसभा टीवी

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