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गायों का संरक्षण करने में फेल हुए निगम: सौरभ भारद्वाज

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि गौ माता के नाम पर दलितों की हत्या करने वाली भाजपा की सच्चाई यह है कि कूड़े के ढलाव पर कूड़ा खाती हैं गौ माता। एमसीडी में शासित भाजपा के नेताओं के संरक्षण में अवैध डेरियां चल रही हैं। जहां गायों का दूध निकालकर उन्हें फिर सड़कों पर कूड़ा खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।

दिल्ली सरकार से पैसा मिलने के बावजूद एमसीडी गायों का संरक्षण करने में फेल साबित हुई है। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर महीने करीब 250 एक्सीडेंट गायों की वजह से हो रहे हैं। लेकिन भाजपा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं है। सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की गायों से संबंधित कई फोटो और वीडियो साझा कीं, जिसमें उनकी दर्दनाक सच्चाई साफ देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि वह गायों की दर्दनाक मृत्यु से संबंधित एक और प्रसवार्ता 21 दिसंबर को करेंगे। जिसके माध्यम से वह देश को भाजपा का असली चेहरा दिखाएंगे।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जैसा कि हमने कहा था कि आम आदमी पार्टी एक सीरीज शुरू कर रही है, जिसके ज़रिए हम आपको बताएंगे कि क्या-क्या काम हैं जो सीधे-सीधे दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। और दिल्ली की जनता को पिछले 15 सालों से कैसे परेशान किया जा रहा है, उसकी सीरीज हम चला रहे हैं। आज की प्रसवार्ता उसी का दूसरा भाग है। 

हम बताएंगे कि किस प्रकार से दिल्ली में गायों पर अत्याचार हो रहा है। गाय, जिसे हिंदू संस्कृति में गौ-माता कहा गया है। वह गौ-माता, जिसके सींगो के लिए कहा जाता है कि उसमें ब्रम्हा, विषणु, महेश का वास है। उसके हर अंगर में किसी देवी-देवता का वास है। किसी की कोई कामना हो तो गौ-माता कि सेवा करने से वह कामना पूरी हो जाती है। मां के दूध के बाद गाय के दूध को सबसे उत्तम बताया जाता है। गौमूत्र हो या गाय का गोबर हो, भारतीय संस्कृति के हिंदू धर्म में उसे सबसे शुद्ध बताया गया है। देश-विदेश कहीं भी चले जाओ, एक मां को कूड़ा खिलाया जाता है, ऐसा आपने कहीं नहीं देखा होगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली नगर निगम संस्कृति में गौ-माता को आप लोग कूड़े के खत्ते पर कूड़ा खाते कभी भी देख सकते हैं। किसी भी इलाके के कूड़े के खत्ते पर आप चले जाएं, वहां पर गौ-माता लोगों के घर से फेंका गया कूड़ा, पॉलिथीनों में भरा हुआ कूड़ा उसे खोलकर खाने की कोशिश करती हैं। और जब वह उसे नहीं खोल पाती हैं, तो वह पूरी पॉलिथीन निगल जाती हैं। उसके बाद वह पॉलिथीन उनकी आंतों में फंस जाती है और दर्दनाक मौत का कारण बनती है। ऐसा दिल्ली में आए दिन होता है, जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ भाजपा शासित एमसीडी ज़िम्मेदार है।

सुबह-सुबह मैंने सोचा कि कुछ फोटो मंगाई जाएं और थोड़ी देर के अंदर हमारे उत्तर दिल्ली नगर निगम, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथियों ने कूड़े के खत्तों पर कूड़ा खाते हुई गायों की ढेरों फोटो हमें भेजी। साथ ही आज जब मैं जिम से घर वापस जा रहा था तो रास्ते में मैंने देखा कि साउथ एक्स की सड़क पर गायें बैठी हुईं थी। उसके बाद डिफेंस कॉलोनी पड़ी, वहां के चौराहे पर गायें बैठी हुई थीं, उसके बाद नहरू स्टेडियम पड़ा तो वहां भी बैठी हुई दिखीं। अब आप सोचेंगे कि ये गायें सड़को पर क्यों बैठी हुई हैं? क्योंकि यह जो गाय हैं, वह कूड़ा खाती हैं। जो गांव के लोग हैं, वह बता सकते हैं कि जो गाय घास खाती है उसका गोबर अलग होता है, उसे लोग घर लीपने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन जो गायें कूड़ा खाती हैं, उनको इतनी बीमरियां हो जाती हैं कि उनके गोबर से इतनी बदबू आती है कि लोग उन्हें पालना नहीं चाहते हैं। यदि वह लोगों के घर के सामने आ जाती हैं तो लोग उन्हें भगा देते हैं। जब उन्हें घरों के सामने से भगा दिया जाता है, गलियों से भगा दिया जाता है, तो उनके पास सड़कों पर बैठने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है। या तो वह सड़कों पर होती हैं, या तो वह कूड़े के खत्ते पर होती हैं।

अब सवाल यह उठता है कि दिल्ली में इतनी गायें आईं कहां से? जबकि दिल्ली में एमसीडी के अनुसार आप गाय पालने का काम नहीं कर सकते हैं। तो यह आवारा पशु आए कहां से हैं? और पिछले 2-3 सालों से इनकी तादाद ज्यादा बढ़ी है। बीच में सभी गायें गौशाला में पहुंच गई थीं और हमारे बहुत सारे साथी गौशाला में गायें दान करके आते थे कि उन्हें अच्छी घास मिल जाए, रहने के लिए अच्छी जगह मिल जाए। फिर अब सड़कों पर गायें कहां से आ रही हैं? क्या इनके पीछे कोई गिरोह है? क्या भाजपा की सांठगांठ हैं? 

दिल्ली नगर निगम के अधिकारी इनपर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे हैं? क्योंकि लोगों के लिए अब यह बड़ी समस्या बन गई है। जब गायें सड़कों पर खड़ी हो जाती हैं तो उससे ट्राफिक जाम की समस्या होती है। कई बार एक्सीडेंट होते हैं। कई बार खुद मैंने यह आंकड़े जानने की कोशिश की तो दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर महीने करीब 250 एक्सीडेंट गायों की वजह से हो रहे हैं।

दिल्ली की गायों की कुछ तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब सवाल यह आता है कि क्या यह इत्तेफाक है कि ये गायें कहीं से छूटकर आ गईं और दिल्ली में कूड़ा खा रही हैं। और एमसीडी इसपर कोई एक्शन क्यों नहीं ले रही है। आप यह मान लीजिए कि दिल्ली और पूरे देश में यदि कोई 2 नंबर का काम हो रहा है और उसपर सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है तो इसका मतलब है कि उस 2 नंबर के काम से किसी की जेब में पैसा आ रहा है। उससे किसी का फायदा हो रहा है इसीलिए उसपर कार्रवाई नहीं हो रही है, अन्यता उसपर कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। अब मैं आपको एक ऐसा वीडियों दिखाऊंगा, जो मैंने सुबह जिम से वापस आते हुए बनाई।

सुबह के करीब 9 बजे थे और मैंने देखा कि जो गायें सारा दिन इधर-उधर भटककर कूड़ा खाती हैं, वह सुबह और शाम लाइन लगाकर कहीं जाती हैं। वहां उनका दूध निकाला जाता है और फिर उन्हें वापस पूरे शहर में भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। यह एक संगठित गिरोह है, माफिया हैं, जो पैसा भी लेते हैं, धमकियां भी देते हैं, गंड़ागर्दी भी करते हैं और इस तरह से गायों का दोहन करते हैं। उनकी दर्दनाक मौत का खेल यही माफिया चला रहे हैं। यह जो वीडियो है इसमें यह सभी गायें जीके-1 के पंचशील एनक्लेव की ओर जा रही हैं। मैं इनके पीछे-पीछे गया तो सभी गायें एक पुल के नीचे से गुज़री जहां एक नाला है। 

एमसीडी को कई बार इस नाले की सफाई के लिए बोला गया है लेकिन एमसीडी इसपर भी कोई कदम नहीं उठाती है। और इस पुल को पार करके गायें जिस जगह पर पहुंचती हैं, वहां उनका दूध निकाला जाता है, और फिर उन्हें भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। आप खुद समझ सकते हैं कि कूड़ा खाने वाली गायों का दूध कितना ही पौष्टिक होगा। इस प्रकार से यह पूरी गौशाला अवैध रूप से चलाई जा रही है और अवैध रूप से उनका दूध निकाला जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एक संगठित गिरोह द्वारा अवैध तरीके से इन गायों को रखा गया है। और अवैध तरीके से इन गायों का दूध निकालकर बेचा जा रहा है। और इसके लिए एमसीडी के अधिकारियों को और दिल्ली नगर निगम में शासित भाजपा के नेताओं को बाकायदा संरक्षण देने के लिए पैसा दिया जाता है। उस पैसे के खातिर यह लोग आम जनता को दूध के रूप में ज़हर पिलाते हैं। जो गाय कूड़ा खाएगी, उसका दूध कैसा होगा और उससे कितनी बीमारियां होंगी, यह आप खुद समझ सकते हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि इन गायों की जो निर्मम मृत्यु होती है वह हम इस सीरीज की अगले भाग में दिखाएंगे। बेदर्दी से इनकी मृत्यु होती है, बहुत कष्टकारी इनकी मृत्यु होती है और इनका इलाज भी नहीं कराया जाता है। और किस प्रकार से इनके मृत शरीर को ठिकाने लगाया जाता है उसको हम अगले भाग में दिखाएंगे। 

अगले मंगलवार यानी कि 21 दिसंबर को हम इसी से संबंधित एक और प्रेसवार्ता करेंगे। और भाजपा का असली चेहरा हम पूरे देश को दिखाएंगे कि गौ-माता के नाम पर दलितों की हत्या करने में तो भाजपा सबसे आगे है, अपना एजेंडा चलाने में तो सबसे आगे है। लेकिन जिसको गौ माता कहते हैं, उसको कूड़ा खिलाकर मृत्यु तक पहुंचाने के लिए भाजपा दिल्ली में पूरी तरह से तत्पर है।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली निकिता सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखती हैं पिछले कुछ सालों से परिवार के साथ रांची में रह रहीं हैं और अब देश की राजधानी दिल्ली में अपनी सेवा दे रहीं हैं। नेशनल ब्रॉडकास्टिंग अकादमी से पत्रकारिता में स्नातक करने के बाद निकिता ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के न्यूज़ पोर्टल्स में काम किया। उन्होंने अपने कैरियर में रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग के साथ-साथ वॉइस ओवर में भी तजुर्बा हासिल किया। वर्त्तमान में नमामि भारत वेब चैनल में कार्यरत हैं। बदलती देश कि राजनीती, प्रशासन और अर्थव्यवस्था में निकिता की विशेष रुचि रही है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही आम जन मानस को प्रभावित करने वाली खबरों पर पैनी नज़र रखती आ रही हैं। बेबाकी से लिखने के साथ-साथ खाने पीने का अच्छा शौक है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में योगदान जारी है।
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