; हार की समीक्षा से कतरा रहे अखिलेश, हार के सदमे से उबर नहीं पाए अखिलेश यादव
हार की समीक्षा से कतरा रहे अखिलेश, हार के सदमे से उबर नहीं पाए अखिलेश यादव

 

  • विधान सभा चुनाव क्यों हारे नहीं जानना चाहते हैं अखिलेश
  • अखिलेश के नेतृत्व पर उठेगा सवाल इसलिए नहीं बुला रहे
  • उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम आए हुए 57 दिन हो चुके हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके मुखिया अखिलेश यादव अब तक हार के सदमे से उबर नहीं पाए हैं. इसके चलते ही अखिलेश यादव चुनावों में हुई हार के कारणों की समीक्षा करने से कतरा रहे हैं. हालांकि इन 57 दिनों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से लेकर सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने हार के कारणों की समीक्षा कर अपनी खामियों को जाना. परन्तु सपा मुखिया अखिलेश यादव विधान सभा चुनावों में मिली शिकस्त की वजहों की समीक्षा करने की पहल अब तक नहीं की है.  

अखिलेश अखिलेश यादव विधान सभा चुनावों में मिली हार की समीक्षा करने से क्यों कतरा रहे हैं? जबकि अखिलेश यादव के सत्ता में वापसी के दावे के फेल होने के बाद से ही चुनावी हार के कारणों की समीक्षा का मसला उठता रहा है. यह सवाल का जवाब अब पार्टी के नेता भी जानना चाहते हैं, लेकिन अखिलेश यादव की तरफ से इसका कोई वाजिब कारण अब तक नहीं बताया गया. ट्वीटर पर भी उन्होंने इस संबंध में कोई ट्वीट नहीं किया, जबकि हर मसले पर वह ट्वीट कर रहे हैं. पिछले माह पार्टी की हार की समीक्षा को लेकर किए गए सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा था कि चुनाव आयोग की ओर से विस्तृत रिजल्ट नहीं मिल पाया है. इस कारण यूपी चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा नहीं की गई. हालांकि, सवाल यह भी है कि यूपी चुनाव को जब समाजवादी पार्टी ने पूरी तरह से अखिलेश यादव के इर्द-गिर्द ही रखा था, तो समीक्षा किस बात की होगी? अगर समीक्षा होगी तो हार के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा? और यह सवाल भी उठेगा कि अखिलेश यादव ने बीते पिछले पांच साल में तीसरी बार गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा और हर बार नाकामयाब क्यों रहे?

पार्टी नेताओं के अनुसार ऐसे समय में जब चुनावी हार के बाद अखिलेश यादव पार्टी में अपनों को संभाल नहीं पा रहे हैं तब इस तरह के सवाल उनके नेतृत्व पर सवाल खड़ा करेंगे. शायद इसीलिए अखिलेश यादव विधान सभा चुनावों में मिली हार की समीक्षा करने से बच रहे हैं. क्योंकि सभी को मालूम है कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव और आजम खान उनकी वर्किंग से खासे खफा हैं. पार्टी के संस्थापक रहे शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव पर जेल में बंद आजम खान की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. यहीं नहीं आजम खान ने भी अपने बेटे और प्रवक्ता के जरिये मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज के मुद्दों को ना उठाने का आरोप लगाया है. ईद के दिन भी शिवपाल और आजम खान ने अखिलेश यादव पर इशारों इशारों में हमला बोला. जिसका कोई जवाब अखिलेश यादव ने नहीं दिया. और ना ही उन्होंने यह बताया कि विधानसभा चुनावों में मिली हार की समीक्षा करने के लिए वह कब बैठक बुलाएंगे. बुधवार को जब इस मसले पर अखिलेश यादव से सवाल हुआ तो उन्होंने ललितपुर जाने की बात कर कर इस सवाल का जवाब नहीं दिया. उनके इस रुख को देखकर अब कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव हार की समीक्षा करने से कतरा रहे हैं क्योंकि इस समीक्षा में उनकी की खामियां सामने आएंगी, इस लिए वह बैठक बुलाने के कतरा रहे हैं.


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पंकज चतुर्वेदी 'नमामि भारत' वेब न्यूज़ सर्विस में समाचार संपादक हैं। मूल रूप से गोंडा जिले के निवासी पंकज ने अपना करियर अमर उजाला से शुरू किया। माखनलाल लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में परास्नातक पंकज ने काफी समय तक राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारिता की और पंजाब केसरी के साथ काम करते हुए राष्ट्रीय राजनीति को कवर किया है। लेकिन मिट्टी की खुशबू लखनऊ खींच लाई और लोकमत अखबार से जुड़कर सूबे की सियासत कवर करने लगे। 2017 में पंकज ने प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ रुख किया। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित चैनल न्यूज वन इंडिया से जुड़कर पंकज ने प्रदेश की राजनीतिक हलचलों को करीब से देखा समझा। 2018 से मार्च 2021 तक जनतंत्र टीवी से जुड़े रहें। पंकज की राजनीतिक ख़बरों में विशेष रुचि है इसीलिए पत्रकारिता की शुरुआत से ही पॉलिटिकल रिपोर्टिंग की तरफ झुकाव रहा है। वह उत्तर प्रदेश की राजनीति की बारीक समझ रखते हैं।
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