; यूपी रेरा ने एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के प्रोमोटर को शेष निर्माण पूरा करने हेतु अधिकृत किया
उ.प्र. रेरा ने एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के प्रोमोटर को शेष निर्माण पूरा करने हेतु अधिकृत किया

• 50 प्रतिशत से ज्यादा आवंटियों की सहमति से प्राधिकरण ने 15वी रुकी परियोजना को पुनर्वास हेतु स्वीकृत दी 

• परियोजना के 211 आवंटियों को अगले 1 वर्ष में कब्जा प्रदान करने की तैयारी  

• कार्यरत और नया प्रोमोटर संयुक्त रूप से 2026 तक निर्माण व विकास कार्य पूरा करेंगे 

• फेज-1 के 3 टावरों में 65-70 प्रतिशत और फेज-3 के 5 टावरों में केवल 10 प्रतिशत तक निर्माण

गौतमबुद्ध नगर/ लखनऊ- उ.प्र. रेरा ने, निर्माण बन्द परियोजना के आवंटियों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से, 50 प्रतिशत से ज्यादा आवंटियों की सहमति से परियोजना के कार्यरत एवं नये प्रोमोटर को संयुक्त रूप से एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के शेष निर्माण और विकास कार्य मार्च 2026 तक पूर्ण करने हेतु अधिकृत किया है। एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के दो फेज, फेज-1 (UPRERAPRJ10243) में टावर ई, ऍफ़ और जी मिलाकर 3 टावर, तथा तथा फेज-3 (UPRERAPRJ10279) में टावर ए, बी, सी, डी और एच मिलाकर 5 टावर का निर्माण होना है। 

मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण ने पाया कि एलिगेंट स्प्लेंडोर फेज-1 तथा एलिगेंट स्प्लेंडोर फेज-3 एक ही परियोजना, एलिगेंट स्प्लेंडोर, के दो फेज/ चरण है जो जीएच-05 सी, टेक्जोन- 4, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, गौतमबुद्ध नगर जनपद में स्थित है। परियोजना के प्रोमोटर मेसर्स एलिगेंट इंफ्राकॉन प्रा.लि.  द्वारा परियोजना के दोनों फेज को 23 अगस्त 2017 में उ.प्र. रेरा में पंजीकृत कराया गया था लेकिन वैध पंजीकरण अवधि के दौरान परियोजना का निर्माण पूर्ण नहीं किया जा सका। फेज-1 का पंजीयन 3 सितम्बर 2019 तथा फेज-3 का पंजीयन 29 अगस्त 2022 को समाप्त हो गया।

यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस परियोजना के प्रोमोटर और आवंटियों के संगठन, एलिगेंट स्प्लेंडोर फ्लैट बायर्स वेलफेयर एसोसिएशन, दोनों ने उ.प्र. रेरा से इस मामले में हस्तक्षेप करने और परियोजना के शेष विकास कार्यों को अपनी निगरानी में, समय से पूरा कराने के लिए अनुरोध किया था ताकि परियोजना के आवंटियों को निकट भविष्य में उनकी इकाईयों का कब्जा मिल सके। प्रोमोटर एलिगेंट इंफ्राकॉन प्रा. लि. ने अथॉरिटी को अवगत कराया कि उसने एक नए प्रोमोटर, ‘फ्लोरल रियलटेक प्रा. लि.’, के साथ एक संयुक्त विकास अनुबंध (जेडीए) किया है जिससे संयुक्त रूप से निर्माण करते हुए 2023 तक फेज-1 और मार्च 2026 तक फेज-3 का निर्माण पूरा किया जा सके।

रेरा अधिनियम के अनुसार परियोजना के फेज-1 पंजीयन विस्तार की अधिकतम समयसीमा, सेक्शन- 6 में 1 वर्ष एवं कोविड-19 के कारण 6 माह, समाप्त हो चुकी थी। जबकि फेज-3 के निर्माण स्तर को ध्यान में रखते हुए समय विस्तार प्रदान करना सम्भव नहीं था। लेकिन प्रोमोटर ने एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के स्वीकृत नक़्शे के पुनर्वैधीकरण/ रिवैलिडेशन हेतु ग्रेटर नॉएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में चल रही अग्रिम प्रक्रिया से अवगत कराया। इस आधार पर उ.प्र. रेरा ने परियोजना के प्रोमोटर और आवंटियों के संघ के अनुरोध पर विचार किया और अधिनियम की धारा 8 के साथ धारा 6 और 37 के प्राविधानों के तहत परियोजना को पूरा करने के लिए पूर्ण सहयोग देने का निर्णय लिया।

प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा स्थित एनसीआर क्षेत्रीय कार्यालय में एक परियोजना प्रबंधन प्रभाग की स्थापना की है जिसके द्वारा परियोजना के आवंटियों की पंजीकृत संघ के माध्यम से जारी  50 प्रतिशत से अधिक आवंटियों की लिखित सहमति के साथ प्रमोटर की तरफ से परियोजना पूर्ण निर्माण हेतु प्रस्तुत योजना की पूर्णतया समीक्षा की गयी। अपने परियोजना प्रबंधन प्रभाग की रिपोर्ट से प्राधिकरण पूर्णतया संतुष्ट था और इसी आधार पर प्राधिकरण ने आवंटियों के हितों की रक्षा और अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के अनुरूप प्रमोटर द्वारा प्रस्तुत परियोजना पूर्ण करने की योजना को स्वीकार करने योग्य माना।

उ.प्र. रेरा द्वारा दिनांक 22 अक्टूबर 2022 को कराये गए एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के स्थलीय निरीक्षण के आधार पर फेज 1 का निर्माण 65-70 प्रतिशत और फेज 3 का निर्माण मात्र 10 प्रतिशत तक हुआ है। मौजूदा आवंटी फेज 1 के टावर के है जिसका निर्माण कम समय में पूरा किया जा सकता है जबकि फेज 3 का निर्माण अभी प्रारंभिक स्तर पर है जिसमे समय लगेगा और इनके टावर में कोई बुकिंग नहीं हुई है।

एलिगेंट स्प्लेंडोर परियोजना के फेज 1 तथा 3 में कुल 640 इकाइयों का निर्माण होना है। प्रोमोटर के अनुसार केवल 211 इकाइयों की बिक्री हुई है जबकि 429 इकाइयों का विक्रय होना है। एक अनुमान के अनुसार परियोजना के पूर्ण होने से कुल 260.69 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं, जिसमें मौजूदा आवंटियों से 20.69 करोड़ रुपए तथा शेष इकाइयों की बिक्री करके 239.10 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। जबकि परियोजना को पूरा करने व अन्य सभी प्रकार के व्यय की अनुमानित लागत लगभग 219.69 करोड़ रुपए है और इस प्रकार परियोजना पूरी तरह से व्यवहारिक है और इसे आवंटियों की सहमति से प्रोमोटर द्वारा पूरा किया जा सकता है।

इसके लिए प्राधिकरण ने प्रोमोटर द्वारा प्रस्तुत परियोजना पूर्ण करने की योजना को स्वीकार करते हुए सख्त नियमों का पालन करने की शर्त रखी ताकि परियोजना सफलतापूर्वक पूरी की जा सके। ये शर्तें निम्न प्रकार से हैं:

– प्रोमोटर 12.50 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि अगले 3 माह में परियोजना के नाम पर एक अलग बैंक खाते में जमा करेगा जिससे विकास प्राधिकरण को स्वीकृत नक्शा के पुनर्वैधीकरण की शुल्क चुकाई जा सके और शेष राशि से निर्माण कार्य किया जा सके। एस्क्रौ अकाउंट में प्रोमोटर और आवंटियों से भविष्य के सभी भुगतानों की प्राप्ति और वित्तपोषकों से ली गई सहायता राशि, यदि कोई हो, जमा की जाएगी। प्राधिकरण के आदेश के अनुसार इस खाते से प्राप्त राशि का उपयोग केवल रेरा अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुरूप परियोजना के निर्माण और विकास के लिए ही किया जाएगा। दोनों प्रोमोटर संयुक्त रूप से स्वयं के संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए फरवरी 2023 तक मौजूदा ऋण चुकाएंगे।

– परियोजना की प्रगति की निगरानी उ.प्र. रेरा के परियोजना सलाहकार एवं निगरानी समिति (पीएएमसी) एवं एक सदस्य की अध्यक्षता में की जायेगी। इसके अलावा निगरानी समिति में जी.एन.आई.डी.ए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ-साथ उ.प्र. रेरा के कंसीलिएशन सलाहकार, वित्त नियंत्रक, तकनीकी सलाहकार, विशेष रूप से नियुक्त निर्माण सलाहकार और परियोजना प्रबंधन प्रभाग (पीएमडी) व आवंटी संघ के सदस्य भी शामिल होंगे। 

– प्राधिकरण परियोजना को पुनर्वास के तहत परियोजनाओं की विशेष श्रेणी में स्थानांतरित करेगा, प्रति तिमाही में इसकी प्रगति की समीक्षा करेगा तथा एक थर्ड पार्टी निर्माण सलाहकार की नियुक्ति कर निर्माण व वित्तीय स्थिति की निरन्तर समीक्षा करेगा।

– आवंटियों के हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि किसी भी आवंटी को परियोजना के पूरा होने तक अपना निवेश वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसी प्रकार निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक धन राशि सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरण द्वारा पूर्व में पारित आदेशों के कार्यान्वन पर रोक लगायी जा जायेगी।

एलिगेंट स्प्लेंडोर के आवंटियों ने उ.प्र. रेरा द्वारा परियोजना के पुनर्वास और इसे पूरा करने की दिशा में जारी किए गए आदेश से संतुष्ट होते हुए अपने घरों का शीघ्र कब्जा मिलने की संभावना से प्रसन्नता व्यक्त की और इस संबंध में उ.प्र. रेरा के प्रयासों की सराहना की। वसूली प्रमाण पत्र प्राप्त आवंटियों ने भी प्रोमोटर के निर्माण कार्यों की उचित प्रगति के आधार पर वसूली को प्राथमिकता न देकर प्रोमोटर से समझौता कर विवाद सुलझाने की सहमति दी है। 

प्रोमोटर सर्वप्रथम निर्माण कार्य प्रारम्भ करने के बाद उन शेष आवंटियों से 80 प्रतिशत की राशि का भुगतान करने का आग्रह करेगा जिन्होंने अन्य की भांति भुगतान नहीं किया हैं जिससे निर्माण कार्य करने में प्रत्येक पक्ष का समान योगदान मिलता रहे। 

इस अवसर पर उ.प्र. रेरा के चेयरमैन श्री राजीव कुमार जी ने कहा कि “हम विशेष रूप से रुके पड़े परियोजनाओं के सभी हितधारकों, विशेष रूप से आवंटियों के हितों की रक्षा करने के सभी सम्भव प्रयास कर रहे हैं। एलिगेंट स्प्लेंडोर इस क्रम में 15वीं परियोजना है जिसमें शेष विकास कार्य को प्रोमोटर और आवंटियों की आपसी सहमति से पूरा करने की मांग की गई है। वैकल्पिक रूप से अलाटियों के संगठन द्वारा भी परियोजना पूर्ण करने के प्रस्ताव भी प्राप्त हो रहे है जैसा कि गौतमबुद्ध नगर में संपदा लिविया परियोजना में किया गया है। रेरा के प्राविधानों के तहत हम इस प्रकार के अन्य परियोजनाओं को पूरा करने की सभी संभावनाओं की जांच-पड़ताल कर रहे है जिससे निर्माण कार्य को प्रोत्साहन मिले और ऐसी अन्य रुकी परियोजनाएं पूर्ण हो सके। रुकी परियोजनाओं का शीघ्र पुनर्निर्माण रियल एस्टेट सेक्टर के विकास के लिए महत्वपूर्ण है जिससे परियोजनाओं के घर खरीदारों को घर मिलने के साथ -साथ सम्पूर्ण रियल एस्टेट सेक्टर को पुनर्जीवन भी मिल सकेगा।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में गौतमबुद्धनगर में 9, गाजियाबाद में 5 और लखनऊ की 1 परियोजना का पुनर्वास या तो प्रोमोटरों या आवंटियों के संघ के माध्यम से किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में 15 रियल एस्टेट परियोजनाओं का पुनर्वास, संभवत:, अपने तरह का प्रथम प्रयास है जो रेरा अधिनियम के प्रावधानों के तहत देश के किसी भी राज्य द्वारा पहली बार किया जा रहा है। ऐसी परियोजनाओं, जो या तो रुकी हुई हैं या जिनका पंजीकरण समाप्त हो गया है या पंजीकरण रद्द कर दिया गया है, का शेष कार्य का विकास और निर्माण पूरा करना रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक पथ-प्रदर्शक कदम है। निस्संदेह, ऐसी अटकी परियोजनाओं के पुनर्वास से घर खरीदारों के हितों की रक्षा होगी और उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट क्षेत्र में हितधारकों का विश्वास बढ़ेगा।

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